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Thursday, June 20, 2013
Wednesday, June 12, 2013
News Vivekanand 7-6-2013 : Bhartiya Shiksha
षिक्षा को भारतीय बनाने की आवष्यकता है
षिक्षा के मूल घटको पर हो दीर्घकालिक षिक्षा योजना
षिक्षा में योग्य परिवर्तन के लिए विद्वानेां षासन और व्यापक जनसमर्थन की आवष्यकता है। शासन को संरक्षक की भूमिका में आना होगा। भारत के पास हजारेां वर्षों का इतिहास है जो प्रगति भारत ने की थी वह बेजोड़, सर्वश्रेष्ठ है। आज वर्तमान समाज और समाज व्यवस्थाओं में बहुत बड़े प्रमाण में पाष्चात्य का अनुकरण हो रहा है इसमें मुख्य भूमिका षिक्षा की है। षिक्षा पूरी तरह से पाष्चात्य से प्रभावित है। उपरोक्त विचार विवेकानंद सार्धषती पर डाॅ. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा आयेाजित तीन दिवसीय व्याख्यान माला कि द्वितीय दिवस पर बोलते हुए दिलीपजी केलकर ने अपने उद्बोधन में में कही। आपने कहा कि हमारे देष में हजारेां वर्षों से स्वाभाविक समाज रहा है उसका अपना अर्थषास्त्र, समाजषास्त्र, न्यायषास्त्र रहा है। हमारे देष की षिक्षा का आधार यही रहा है। आपकी षिक्षा में अर्थषास्त्र हम एड्म स्मिथ की पढ़ते हैं तो समाजषास्त्र के एरिस्टोटल इसके दुष्परिणाम भारत सहित पूरे विष्व में दिखाई दे रहे हैं। आत्मविनाष की प्रवृत्ति में तेजी से वृद्धि हो रही है। भारत के हजारों वर्षो के उपलब्ध इतिहास से समाज में पर्यावरण और षिक्षा की कभी समस्या नहीं हुई। सारी समस्याओं का आगमन अंग्रेजी षिक्षापद्धति से हुआ है। षिक्षा को भारतीय बनाने की आवष्यकता है। इसके प्रयास स्वतंत्रता पूर्व अरविन्द, लाजपतराय, तिलक, गांधी सभी ने किए वर्तमान में भी रामकृष्ण मिषन, चिन्मय मिषन, श्री श्री रविषंकर, श्री रामदेव द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा प्रयास विद्याभारती का है जो 25 हजारसे अधिक विद्यालयों में षिक्षा दे रहे हैं। उसके परिणाम तो हैं परंतु अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। यह सब व्यर्थ हो रहा है ऐसी नही ंहै कमी षिक्षा की मूलधारा मे ंहै। केलकरजी के मूलधारा के चार घटक बताए षिक्षा का लक्ष्य, षिक्षा पद्धति, पाठ्यक्रम और षिक्षक की गुणवत्ता उन्होंने कहा चारों घटक आज पाष्चात्य से प्रभावित है। स्वामी विवेकानंद ने षिक्षा के लक्ष्य देा सूत्र दिए हैं पहला ‘‘षिक्षा अन्र्तनिहित पूर्णत्व के विकास की प्रक्रिया है’’ और दूसरा षिक्षा राष्ट्र का निर्माण करने वाली होनी चाहिए। अध्यापन पद्धति लक्ष्य की ओर ले जाने वाली होना चाहिए जिसमें जन्मपूर्व से मृत्यु पर्यन्त तक की षिक्षा का विचार होना चाहिए। आज वे सब नष्ट हो गई हैं उन्हें पुर्नजीवित करना होगा। पाठ्यक्रम समाज और सृष्टि कि साथ एकात्मता की भावना के विकास के आधार पर ही होना चाहिए और षिक्षा के लक्ष्येां के आधार पर राष्ट्रीयता का विकास पूर्णता का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा षिक्षक अपने ज्ञान के प्रति निष्ठ होना चाहिए वह ज्ञान निष्ठ, राष्ट्रनिष्ठ, समाजनिष्ठ, विद्यार्थीनिष्ठ हो, वह विद्यार्थी को विकास की मर्यादा तक ले जाने वाला हो। वह कुषल निर्भय, आत्मविष्वास से युक्त समाज निर्माता है। इन सभी का निर्माण कैसे हो इसके लिए दीर्घावधि की व्यापक योजना बनाना होगी इस येाजना में संगठित प्रयासों की आवष्यकता होगी। इस दीर्घकालीन योजना के पांच चरण (तप) है जिसमें हर चरण 12 वर्ष का होगा।
1. नेमीषारण्य - इस योजना में देष भर के विद्वान उपयुक्त चार क्षेत्रों में अध्ययन और षिक्षा के श्रेष्ठ मूल तत्वों प्राचीन और वर्तमान षिक्षा पद्धति के साथ मेल बिठाकर उसे पुनः प्रस्तुत करें।
2. लोकमत परिष्कार - उपरोक्त अध्ययन और अनुसंधान से जो निष्कर्ष निकल कर आयेगा उसे समाज तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इसमें होगी।
3. परिवार कुटुम्ब का सुदृढ़ीकरण - परिवार को संस्कारित होना बहुत आवष्यक है। जब तक संस्कारवान विद्यार्थी विद्यालय नहीं आयेेगे तब तक षिक्षक बहुत ज्यादा योगदान नहीं दे पायेगा।
4. आचार्य निर्माण और षिक्षक के द्वारा स्वयं षिक्षा केन्द्रों का निर्माण।
ये सभी कार्य 3 जुलाई 2012 से विषुद्ध भारतीयता पर आधारित पुनरूत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद में चालू हो चुका है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अध्यक्षता कर रहे षिक्षाविद श्रीमान माधव परंाजपे, ने भी संबोधित किया। संचालन सागर चैकसेे ने किया।
8 जून के कार्यक्रम - श्री बजरंगलालजी गुप्त का व्याख्यान विषय ‘‘विवेकानंद के विचारों के आलोक में स्वाभिमानी भारत’’ इसे आर्थिक जगत के विद्वानेां, व्यवसाईयों के बीच रखा जायेगा।
श्रीमान संपादक महोदय भवदीय
दैनिक ....................................
की ओर सादर प्रकाषनार्थ प्रेषित। नितिन तापडि़या
प्रांत प्रचार प्रमुख
षिक्षा के मूल घटको पर हो दीर्घकालिक षिक्षा योजना
षिक्षा में योग्य परिवर्तन के लिए विद्वानेां षासन और व्यापक जनसमर्थन की आवष्यकता है। शासन को संरक्षक की भूमिका में आना होगा। भारत के पास हजारेां वर्षों का इतिहास है जो प्रगति भारत ने की थी वह बेजोड़, सर्वश्रेष्ठ है। आज वर्तमान समाज और समाज व्यवस्थाओं में बहुत बड़े प्रमाण में पाष्चात्य का अनुकरण हो रहा है इसमें मुख्य भूमिका षिक्षा की है। षिक्षा पूरी तरह से पाष्चात्य से प्रभावित है। उपरोक्त विचार विवेकानंद सार्धषती पर डाॅ. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा आयेाजित तीन दिवसीय व्याख्यान माला कि द्वितीय दिवस पर बोलते हुए दिलीपजी केलकर ने अपने उद्बोधन में में कही। आपने कहा कि हमारे देष में हजारेां वर्षों से स्वाभाविक समाज रहा है उसका अपना अर्थषास्त्र, समाजषास्त्र, न्यायषास्त्र रहा है। हमारे देष की षिक्षा का आधार यही रहा है। आपकी षिक्षा में अर्थषास्त्र हम एड्म स्मिथ की पढ़ते हैं तो समाजषास्त्र के एरिस्टोटल इसके दुष्परिणाम भारत सहित पूरे विष्व में दिखाई दे रहे हैं। आत्मविनाष की प्रवृत्ति में तेजी से वृद्धि हो रही है। भारत के हजारों वर्षो के उपलब्ध इतिहास से समाज में पर्यावरण और षिक्षा की कभी समस्या नहीं हुई। सारी समस्याओं का आगमन अंग्रेजी षिक्षापद्धति से हुआ है। षिक्षा को भारतीय बनाने की आवष्यकता है। इसके प्रयास स्वतंत्रता पूर्व अरविन्द, लाजपतराय, तिलक, गांधी सभी ने किए वर्तमान में भी रामकृष्ण मिषन, चिन्मय मिषन, श्री श्री रविषंकर, श्री रामदेव द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा प्रयास विद्याभारती का है जो 25 हजारसे अधिक विद्यालयों में षिक्षा दे रहे हैं। उसके परिणाम तो हैं परंतु अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। यह सब व्यर्थ हो रहा है ऐसी नही ंहै कमी षिक्षा की मूलधारा मे ंहै। केलकरजी के मूलधारा के चार घटक बताए षिक्षा का लक्ष्य, षिक्षा पद्धति, पाठ्यक्रम और षिक्षक की गुणवत्ता उन्होंने कहा चारों घटक आज पाष्चात्य से प्रभावित है। स्वामी विवेकानंद ने षिक्षा के लक्ष्य देा सूत्र दिए हैं पहला ‘‘षिक्षा अन्र्तनिहित पूर्णत्व के विकास की प्रक्रिया है’’ और दूसरा षिक्षा राष्ट्र का निर्माण करने वाली होनी चाहिए। अध्यापन पद्धति लक्ष्य की ओर ले जाने वाली होना चाहिए जिसमें जन्मपूर्व से मृत्यु पर्यन्त तक की षिक्षा का विचार होना चाहिए। आज वे सब नष्ट हो गई हैं उन्हें पुर्नजीवित करना होगा। पाठ्यक्रम समाज और सृष्टि कि साथ एकात्मता की भावना के विकास के आधार पर ही होना चाहिए और षिक्षा के लक्ष्येां के आधार पर राष्ट्रीयता का विकास पूर्णता का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा षिक्षक अपने ज्ञान के प्रति निष्ठ होना चाहिए वह ज्ञान निष्ठ, राष्ट्रनिष्ठ, समाजनिष्ठ, विद्यार्थीनिष्ठ हो, वह विद्यार्थी को विकास की मर्यादा तक ले जाने वाला हो। वह कुषल निर्भय, आत्मविष्वास से युक्त समाज निर्माता है। इन सभी का निर्माण कैसे हो इसके लिए दीर्घावधि की व्यापक योजना बनाना होगी इस येाजना में संगठित प्रयासों की आवष्यकता होगी। इस दीर्घकालीन योजना के पांच चरण (तप) है जिसमें हर चरण 12 वर्ष का होगा।
1. नेमीषारण्य - इस योजना में देष भर के विद्वान उपयुक्त चार क्षेत्रों में अध्ययन और षिक्षा के श्रेष्ठ मूल तत्वों प्राचीन और वर्तमान षिक्षा पद्धति के साथ मेल बिठाकर उसे पुनः प्रस्तुत करें।
2. लोकमत परिष्कार - उपरोक्त अध्ययन और अनुसंधान से जो निष्कर्ष निकल कर आयेगा उसे समाज तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इसमें होगी।
3. परिवार कुटुम्ब का सुदृढ़ीकरण - परिवार को संस्कारित होना बहुत आवष्यक है। जब तक संस्कारवान विद्यार्थी विद्यालय नहीं आयेेगे तब तक षिक्षक बहुत ज्यादा योगदान नहीं दे पायेगा।
4. आचार्य निर्माण और षिक्षक के द्वारा स्वयं षिक्षा केन्द्रों का निर्माण।
ये सभी कार्य 3 जुलाई 2012 से विषुद्ध भारतीयता पर आधारित पुनरूत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद में चालू हो चुका है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अध्यक्षता कर रहे षिक्षाविद श्रीमान माधव परंाजपे, ने भी संबोधित किया। संचालन सागर चैकसेे ने किया।
8 जून के कार्यक्रम - श्री बजरंगलालजी गुप्त का व्याख्यान विषय ‘‘विवेकानंद के विचारों के आलोक में स्वाभिमानी भारत’’ इसे आर्थिक जगत के विद्वानेां, व्यवसाईयों के बीच रखा जायेगा।
श्रीमान संपादक महोदय भवदीय
दैनिक ....................................
की ओर सादर प्रकाषनार्थ प्रेषित। नितिन तापडि़या
प्रांत प्रचार प्रमुख
Name of Road on Swami Vivekananda in Faridabad
दिनांक : 02-06-2013
प्रेस विज्ञप्ति
जीवन का सार अनोखा है ,
मृत्यु का श्रृंगार अनोखा है ,
संत तो बहुत हैं इस दुनिया में ,
परन्तु विवेकानंद का भाव अनोखा है । -डा. मार्कंडेय आहूजा
संत तो बहुत हैं इस दुनिया में ,
परन्तु विवेकानंद का भाव अनोखा है । -डा. मार्कंडेय आहूजा
उन्होंने कहा कि यदि हम सभी स्वामी जी के विचारों को जीवन में अपनाकर देश को भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर लेकर चलें तो हम अपने देश की दशा और दिशा ही बदल सकते हैं । क्योंकि विवेकानंद जी के जीवन दर्शन में सम्पूर्ण भारत निहित है । जाति एवं वर्ण व्यवस्था से परे भारत कल्याण व विश्व कल्याण ही स्वामी जी का स्वप्न था । गुलामी के काल में हमारे देश की प्राचीन सभ्यता व संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट कर देश की जड़ों को ही काटने का काम किया गया था । परन्तु अब हमें अपनी सभी सुप्त शक्तियों को जाग्रत कर अपने देश और समाज के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा ।
इससे पूर्व कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए समिति के प्रांत संयोजक श्री अनिल कुमार ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के सार्ध शती वर्ष में स्वामी जी के जीवन का सन्देश जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जायेगा और देश की युवा शक्ति को स्वामी जी के सपनों का भारत निर्माण करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ।
विवेक संगोष्ठी से पूर्व सेक्टर 9-10 की डिवाइडिंग रोड का नाम फरीदाबाद नगर निगम की अनुमति से स्वामी विवेकानंद मार्ग डा . मार्कंडेय जी के कर-कमलों द्वारा रखा गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अग्रवाल कोलेज बल्लबगढ़ के प्रिंसिपल डा. के. के. अग्रवाल ने समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार-प्रसार कर देश की युवा शक्ति को जाग्रत करना आज बहुत ही आवश्यक है ।
इस अवसर पर विशिष्ट अथिति के रूप में
पार्षद श्रीमती द्रौपदी अद्लक्खा सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला
संघचालक श्री अजित सिंह जैन, समिति के विभाग संयोजक दीपक अग्रवाल जी, जिला
संयोजक सुधीर कपूर जी , सह-जिला संयोजक बी. आर. सिंगला जी, भाजपा नेता धनेश अद्लक्खा , समिति के अनेक कार्यकर्ता व शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।
मंच का संचालन समिति के विभाग पालक श्री गंगाशंकर मिश्र ने किया ।
मंच का संचालन समिति के विभाग पालक श्री गंगाशंकर मिश्र ने किया ।
-राजेंद्र प्रसाद गोयल, एडवोकेट
मीडिया प्रमुख,
स्वामी विवेकानंद सार्ध शती समारोह समिति,
मीडिया प्रमुख,
स्वामी विवेकानंद सार्ध शती समारोह समिति,
Tuesday, June 4, 2013
Highlights of Tamil Nadu State from December 2012 to March 2013
SWAMI VIVEKANANDA SARDHASHATI CELEBRATIONS
Highlights of Tamil Nadu State from December 2012 to March 2013.
Highlights of Tamil Nadu State from December 2012 to March 2013.
Monday, June 3, 2013
Teen Divasiya Vyakhyan Mala
Event Date:
Thu, 2013-06-06 16:00
तीन दिवसीय व्याख्यान माला 6 जून से
इन्दौर। स्वामी विवेकानन्द सार्धशती (150वीं) जयंति वर्ष के डाॅ.
हेडगेवार स्मृति न्यास द्वारा 6 जून, 2013 से 8 जून, 2013 तक तीन दिवसीय
व्याख्यान माला का आयोजन जाल सभा-गृह, इन्दौर पर किया जा रहा है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति के मालवा प्रांत संयोजक अमित जैन ने बताया कि स्वामी जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जो उस समय के समाजिक जीवन पर प्रभावी थे। स्वामी जी जिस युवा भारत, भारतीय नारी, सामाजिक अर्थव्यवस्था की बात अपने विचारों व भाषण में करते थे, वही विचार आज भारतीय समाज की आत्मविश्वास की परिधि को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। वे कहते थे जिस दिन भारत का समाज स्वाभिमानी, स्वावलंबी हो जाएगा, भारत को विश्व-गुरू बनने में कोई नहीं रोक पाएगा। इसी परिप्रेक्ष्य में 6 जून, गुरूवार को सायंकाल 4 बजे से जाल सभा-गृह के तीन दिवसीय व्याख्यान माला का शुभारंभ होगा।
6 जून, 2013 को विवेकानन्द पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त जबलपुर की डाॅ. स्वाति चांदोरकर का व्याख्यान होगा, विषय होगा ’’भारतीय नारी’’ क्योंकि विवेकानन्द का कहना था, स्त्री-सम्मान से ही राष्ट्रोत्थान है। वहीं 7 जून को श्री दिलीप जी केलकर (डोंबीवली महाराष्ट्र) का स्वामी विवेकानन्द के विचारों के आलोक में समग्र शिक्षा योजना विषय पर व्याख्यान सायं 7 बजे से शिक्षा क्षेत्र से जुड़े शिक्षाविद्, स्कूल, काॅलेज के प्राचार्य, अध्यापकों व कोचिंग सेन्टरों के संचालकों के बीच कार्यक्रम होगा, जिसका स्थान जाल सभा-गृह होगा। वहीं 8 जून, 2013 को डाॅ. बजरंगलाल जी गुप्त, जयपुर सायं 7.30 बजे से समाज के प्रबुद्ध वर्ग, व्यापारी, उद्योगपति व आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े वर्ग में अपनी बात रखेंगे।
मालवा प्रांत के प्रचार प्रमुख नितिन तापडि़या ने बताया कि स्वामी जी के 150वें जन्म-जयन्ति वर्ष पर होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में यह तीन दिवसीय आयोजन हो रहा है।
श्रीमान् संपादक महोदय,
दैनिक .........................................
इन्दौर (म.प्र.)
भवदीय,
उपरोक्त जानकारी देते हुए विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति के मालवा प्रांत संयोजक अमित जैन ने बताया कि स्वामी जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जो उस समय के समाजिक जीवन पर प्रभावी थे। स्वामी जी जिस युवा भारत, भारतीय नारी, सामाजिक अर्थव्यवस्था की बात अपने विचारों व भाषण में करते थे, वही विचार आज भारतीय समाज की आत्मविश्वास की परिधि को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। वे कहते थे जिस दिन भारत का समाज स्वाभिमानी, स्वावलंबी हो जाएगा, भारत को विश्व-गुरू बनने में कोई नहीं रोक पाएगा। इसी परिप्रेक्ष्य में 6 जून, गुरूवार को सायंकाल 4 बजे से जाल सभा-गृह के तीन दिवसीय व्याख्यान माला का शुभारंभ होगा।
6 जून, 2013 को विवेकानन्द पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त जबलपुर की डाॅ. स्वाति चांदोरकर का व्याख्यान होगा, विषय होगा ’’भारतीय नारी’’ क्योंकि विवेकानन्द का कहना था, स्त्री-सम्मान से ही राष्ट्रोत्थान है। वहीं 7 जून को श्री दिलीप जी केलकर (डोंबीवली महाराष्ट्र) का स्वामी विवेकानन्द के विचारों के आलोक में समग्र शिक्षा योजना विषय पर व्याख्यान सायं 7 बजे से शिक्षा क्षेत्र से जुड़े शिक्षाविद्, स्कूल, काॅलेज के प्राचार्य, अध्यापकों व कोचिंग सेन्टरों के संचालकों के बीच कार्यक्रम होगा, जिसका स्थान जाल सभा-गृह होगा। वहीं 8 जून, 2013 को डाॅ. बजरंगलाल जी गुप्त, जयपुर सायं 7.30 बजे से समाज के प्रबुद्ध वर्ग, व्यापारी, उद्योगपति व आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े वर्ग में अपनी बात रखेंगे।
मालवा प्रांत के प्रचार प्रमुख नितिन तापडि़या ने बताया कि स्वामी जी के 150वें जन्म-जयन्ति वर्ष पर होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में यह तीन दिवसीय आयोजन हो रहा है।
श्रीमान् संपादक महोदय,
दैनिक .........................................
इन्दौर (म.प्र.)
भवदीय,
नितिन तापडि़या
प्रांत प्रचार प्रमुख
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