Sunday, February 17, 2013

संस्कृति व विचार से ही भारत बनेगा

12 January 2013 - आज के वैश्विक व सामाजिक उथल पुथल के कालखंड में भारत वर्ष के युवाओं को पुन: स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता है। यह कहना है एचएससीएल के अधिशासी निदेशक रामाधार झा का। वे सार्ध शती आयोजन समिति के तत्वावधान में आयोजित शोभा यात्रा के बाद मजदूर मैदान सेक्टर चार में 150वीं जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज आज दिग्भ्रमित होकर अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूलता जा रहा है। झा ने कहा ब्रिटिश काल में जिस प्रकार से स्वामी जी ने शिकागो सहित अन्य देशों में भारतीय परंपरा को स्थापित करने का कार्य किया था, उसी प्रकार भारतीय युवाओं को उनके आदर्शों का अनुसरण करने की आवश्यकता है। 

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित संयंत्र के महाप्रबंधक सीएसआर व एजुकेशन डा.पीके बनर्जी ने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति से ही सब कुछ पाया जा सकता है। असफलता से किसी को भी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रयास जारी रखना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राकेश लाल ने कहा कि अध्यात्मवाद और भौतिकवाद दोनों के सहारे ही विदेशी ताकतों की कमर तोड़कर भारतीय संस्कृति को विश्व में पुन: स्थापित किया जा सकता है। इससे पूर्व रामभरोसे गिरि ने स्वामी जी के जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। जबकि सत्यदेव तिवारी ने अतिथियों का स्वागत और मंच संचालन किया । इस मौके पर मुख्य रूप से जगन्नाथ शाही उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राजाराम शर्मा, ने किया धन्यवाद ज्ञापन रामबचन सिंह ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलीत कर किया गया। इस मौके पर गायत्री शक्ति पीठ के डा.रमेश मणि पाठक ने गीत की प्रस्तुति की। 

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