Tuesday, January 29, 2013

Human Torch Guinness record


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A gigantic human torch formed by 1600 students at Akota stadium was the manifestation of excellence. The occasion was 150 birth anniversary of Swami Vivekananda; starting of an  yearlong celebration of Sardh Shati Samaroha of the great cyclonic monk  by Vivekananda Kendra, HQ Kanyakumari  throughout the nation. Sports, culture and education forum of BRG group have taken care of imparting training to the students of Urmi School and Gujarat public school to make unique human torch. Saffron attire and rhythmic moves of the well trained participants just thrilled the audience when they witnessed the flickering of torch flame for 15 minutes.  Mr Richard Stanley, representative of Guinness book also saw the performance.

स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती के उपलक्ष में नगर में विशाल शोभयात्रा एवं विराट आम सभा


डीडवाना 12.01.2013 स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती के उपलक्ष में नगर में विशाल शोभयात्रा एवं विराट आम सभा का आयोजन किया गया। जानकारी देते हुए समिति के सदस्य एवं युवा आयाम के नगर संयोजक महेश टाक ने बताया कि, इस अवसर पर मध्यान्ह 12.30 बजे स्थानीय श्री अग्रसेन भवन से बाजे-गाजे के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई। इसमें वाहन रैली, मंगल कलश यात्रा सहित स्थानीय विद्यालयों के हजारों छात्र-छात्राओं एवं नगर के गणमान्य नागरिकों ने अपनी सहभागिता की। इस शोभायात्रा में विशेष रूप से सजाई गई छांकिया एवं बैनर तथा स्वामी विवेकानन्द के सन्देशों से सम्बन्धित पोस्टर एवं तख्तियां भी सम्मिलित थी। शोभायात्रा में सम्मिलित छात्र-छात्राओं ने जोशीले एवं राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत गीतों एवं नारों से नगर के बाजारों को गुंजायमान कर दिया। शोभा यात्रा अग्रसेन भवन से आरम्भ होकर शहर के मुख्य मार्गों एवं बाजारों से होती हुई समरोह स्थल स्थानीय मिर्धा स्टेडियम पंहुची। शोभा यात्रा का मार्ग में जगह-जगह शहरवासियों द्वारा पुष्प वर्षा के माध्यम से स्वागत किया गया। मिर्धा स्टेडियम में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा स्वामी विवेकानन्द के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं पुष्पार्चन द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला संघ चालक नारायण प्रसाद टाक, स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह के जिला संयोजक बुद्धाराम गरवा, सह संयोजक डा. सोहन चैधरी, तहसील संयोजक मनरूपाराम पलसानियां एवं नगर संयोजक शंकर लाल परसावत व नगर संघ चालक एडवोकेट ओम प्रकाश मोठ मंच पर मंचासीन थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में बच्छराज भार्गव द्वारा सामूहिक गीत ‘‘देश हमें देता है सबकुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें’’ प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों का स्वागत एवं उद्बोधन नगर सह संयोजक रमेश कुमार गौड़ द्वारा किया गया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिला सह संयोजक डा. सोहन चैधरी ने स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह के विविध आयामों क्रमशः युवा आयाम, संवर्धनी आयाम, ग्रामायण आयाम, अस्मिता आयाम के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। जिला संयोजक बुद्धाराम गरवा ने आगामी वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने की बात कही। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए रामाकिशन खीचड़ ने अपने जोशीले उद्बोधन से स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं एवं देश के युवाओं के लिए उनके द्वारा दिये गये प्रेरणादायी मार्गदर्शन एवं शिक्षाओं को अपने जीवन में अंगीकार करने की बात कही। अभिषेक शर्मा ने जोशीली कविता एवं उद्बोधन से देश की युवाशक्ति को स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं के माध्यम से देश एवं समाज की भलाई के लिए सतत प्रयासरत रहने पर बल दिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं जिला संघ चालक नारायण प्रसाद टाक ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मात्र 39वर्ष की आयु में अप्रतिम प्रतिभा के धनी स्वामी विवेकानन्द ने देश एवं समाज की वह सेवा की जो कि युगान्तरकारी सिद्ध हुई। उन्होंने बताया कि प्रिय दर्शन एवं तेजस्वी प्रतिभाशाली शौर्य-वीर्य सम्पन्न पराक्रम के धनी स्वामी विवेकानन्द ने भारतमाता की प्रतिष्ठा को सम्पूर्ण विश्व में एक अलग पहचान देकर समस्त विश्व के नर-नारियों को भारत की वैदिक सभ्यता एवं संस्कृति के उच्चादर्शों से अनुप्राणित होकर विश्वमंगल की भावना को सम्पूर्ण विश्व में आलोकित किया। उन्होंने उपस्थित समस्त जन समुदाय से स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों को अपने जीवन में उतार कर समाज एवं राष्ट्र के नवनिर्माण के पुनीत यज्ञ में सहभागी बनने  का आह्वान किया।नगर संयोजक शंकरलाल परसावत ने अपने उद्बोधन में नगर में आयोजित होने वाले आगामी वर्ष भर के विविध कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान करते हुए बढ-चढ कर समस्त आयोजनों में सहभागिता करने का आह्वान किया। अंत में नगर संघ चालक ऐडवाकेट ओम प्रकाश मोठ ने समस्त जनसमुदाय का आभार ज्ञापित किया।  इस अवसर पर मंच संचालन महेश टाक एवं रमेश गौड़ ने किया।

कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक गणों के साथ उद्योगपति ओम प्रकाश मोदी, पूर्व पालिका अध्यक्ष सुरेश चन्द्र वर्मा, बृज मोहन शास्त्री, महावीर प्रसाद औझा, राजेन्द्र पटवारी, राजेन्द्र दाधीच, कैलाश सोलंकी, विनोद सैन, भुवनेश कुमार शर्मा, रामावतार सर्राफ, परशुराम वर्मा, रामेश्वर जांगिड़, मदनलाल चैहान, गोपीकिशन प्रजापति, लालचन्द ध्यावाला, अंशुमान मोठ, बनवारी मोठ, कमल मोठ, गजेन्द्र गौड़, अरूण न्यावड़ा, द्वारका प्रसाद मल्लावत, आनन्दीलाल लाहोटी सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

कुचामन में शोभायात्रा


12/01/2013 कुचामन शहर आज कुचामन शहर में स्वामी विवेकानन्दजी की 150वीं जयंती पर "स्वामी विवेकानन्द सार्धशति समारोह समिति" के तत्वावधान में शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में शहर की 28 शिक्षण संस्थाओं के कुल 4450 विद्यार्थियों ने भाग लिया, इनमें 3100 छात्र एवं 1350 छात्राओं ने भाग लिया। शोभायात्रा में 17 संस्थाओं ने स्वामी विवेकानन्दजी की सजीव झाँकियाँ बनाई। शिक्षण संस्थाओं के साथ में विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता सम्मिलित रहे। शोभायात्रा के प्रारम्भ में श्रीमान पंकजजी (प्रान्तीय महाविद्यालय विद्यार्थी प्रमुख, जोधपुर) का उद्बोधन रहा, जिन्होंने स्वामी विवेकानन्दजी के जीवन पर प्रकाश डाला। यह शोभायात्रा राजकीय भोमराजका स्कूल से प्रातः 10:30 बजे प्रारम्भ होकर स्टेशन रोड़, बस स्टेण्ड, गोल प्याऊ, सीकर रोड़ होते हुए नया शहर समापन स्थान पर पहुँची। वहाँ सभी को प्रसाद वितरण किया गया व समिति के संयोजक श्रीमान राजारामजी प्रजापत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर सालभर चलने वाले कार्यक्रमों के सुचारू संचालन व साहित्य बिक्री के लिये कार्यालय का उद्घाटन किया गया।

रानीवाड़ा में वीराट शोभायात्रा


12/01/2013 रानीवाड़ा : स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती के उपलक्ष में रानीवाड़ा में वीराट शोभायात्रा का आयोजन हुआ। शार्धशती समिति की ओर से आयोजित शोभायात्रा को संबोधित करते हुए, बड़गांव सुरज कुडं महंत श्री 1008 लहर भारती महाराज नें, कहा कि आज हमें स्वामी विवेंकानन्द के विचारों को अपनाने की आवश्यकता है। स्वामी विवेकानन्द ने जिस प्रकार हिन्दु धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिये अपना जीवन सर्वस्व समर्पित किया उसी प्रकार हमें भी देश हेतु कार्य करना चाहिए। इससे पूर्व शोभायात्रा रानीवाड़ा शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए खेल मैदान पहुँचे। शोभायात्रा में स्थानीय सांसद श्री देवजी भाई पटेल सहित रानीवाड़ा के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए। शोभायात्रा की सामग्री व्यवस्थाएँ स्वामी विवेकानन्द सार्धराती समिती रानीवाड़ा के कार्यकर्ताओ मंजीराम चैधरी, लक्ष्मीकान्त गुप्ता, हनवंत शर्मा, सवदाराम चैधरी, चेतदान चारण, विष्णुदान चारण, अमृत कुमार देवासी , जयन्तिलाल मोदी, विक्रमसिंह, अशोक कुमार सोलंकी, बाबुलाल राजनट आदि कार्यकर्ताओं द्वारा की गई।

चैहटन , बाड़मेर स्वामी विवेकानन्द सार्धषती के निमित्त चैहटन तहसील केन्द्र का उद्घाटन कार्यक्रम की भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जिसमें चैहटन षहर के रा.उ.मा.वि.चैहटन, रा.बा.उ.मा.वि.चैहटन, आदर्श वि.मं.उ.मा.,चैहटन, विरात्रा पब्लिक स्कूल, खीमराज डोसी बाल मन्दिर, कुम्भाराम आर्य शिक्षण संस्थान, शंकर बाल निकेतन, मदर टेरेसा ब्रिलियन्ट एकेडमी, मारवाड़ पब्लिक स्कूल सहित शहर के सभी राजकीय और निजी विद्यालयों के पांच हजार छात्र छात्राओं के हाथ में स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं वाली तख्तिया अपने हाथ में लेकर चले और शहर के इन विद्यालय की 300 बहिनें कलश यात्रा में शामिल हुई। वहीं 150 मोटरसाईकिल व पचास विद्यार्थी स्वामी विवेकानन्द बनकर आकर्षक स्वामी विवेकानन्द का रथ के पीछे पीछे सधे हुए कदमों से चैहटन की अब तक की ऐतिहासिक शोभा यात्रा जो कुल मिलकर 2 किमी. लम्बी थी, चैहटन के स्टेडियम से प्रारम्भ होकर आदर्श विद्या मन्दिर उ.मा. में सभा के रूप में बदल गई। जिसमें मुख्य अतिथि भवेन्द्र कुमार गोयल ने विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को उस अनुरूप ढ़ालने का आह्वान किया । वहीं मुख्य वक्ता रिखबदासजी बोथरा (मा. सह जिला संघचालक) जी ने सम्बोधित करते हुए स्वामी विवेकानन्दजी के जीवन पर प्रकाष डालते हुए वर्श प्रयन्त सम्पन्न होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी व जिस प्रकार स्वामी विवेकानन्द थे शिकागों से सम्पूर्ण विष्व भर में हुंकार भर दी। उसी प्रकार आज फिर ‘उतिश्ठित जाग्रत’’ की आवष्यकता है। फिर से मातृभूमि के लिए जागरूक होने की आवश्यकता पर बल दिया।

जोधपुर में भव्य शोभायात्रा


12/01/2013 : जोधपुर : स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर शनिवार को शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में विवेकानंद के जीवन प्रसंगों पर आधारित अनेक झांकियां प्रदर्शित की गईं। विवेकानंद सार्ध शती समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित शोभायात्रा दोपहर में एक बजे नई सड़क चौराहे से गाजों बाजों के साथ रवाना हुई। शोभायात्रा को समिति के अध्यक्ष जुगल किशोर झंवर ने भगवा झंडी दिखा कर रवाना किया। शोभायात्रा नई सड़क से रेलवे स्टेशन रोडएराज रणछोडऱाय मंदिरएजालोरीगेट चौराहाएसरदारपुरा बी रोड होते हुए जलजोग चौराहे से पांचवीं रोड होते हुए गीता भवन पहुंच कर विसर्जित हुई।

शोभायात्रा में स्वामी विवेकानंद के जीवन प्रसंग पर आधारित विभिन्न झांकियां सजाई गईं। इसमें स्वामी की देश एवं विदेश यात्राओं के दौरान आयोजित उनके कार्यक्रमों का चित्रण किया गया। शोभायात्रा में करीब 151 झांकियां शामिल हुईं। गीता भवन में समापन के दौरान प्रमुख लोगों ने युवाओं से स्वामी विवेकानंद के आदर्श आत्मसात करने की अपील की। सार्ध समिति के अध्यक्ष जुगल किशोर झंवरए विधायक सूर्यकांता व्यास व कैलाश भंसालीए घनश्याम ओझाए हरिगोपाल राठीए भवानी लाल माथुरए देवेंद्र जोशीए रेवत सिंह राजपुरोहितए भैराराम सियोलए कन्हैयालाल माथुरए गिरीश गहलोतए अशोक सिनवाडिय़ाए शिवकुमार सोनीए डॉण् कैलाश डागाए मांगू सिंह राठौड़ए अनिल गोयलए भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र कच्छवाहए भाजयुमो अध्यक्ष पवन आसोपाए पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत सहित अनेक लोगों की भागीदारी रही।

भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने स्वामी विवेकानंद की जयंती पर गौरवपथ स्थित विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष 151 घी के दीपक जलाए। इस मौके पर भाजपा शहर जिलाध्यक्ष नरेंद्र कच्छवाह ने युवाओं को विवेकानंद के आदर्शों पर चलने का संकल्प दिलाया। भाजयुमो जिलाध्यक्ष पवन आसोपाए भाजपा महामंत्री जगत नारायण जोशीए राजेंद्र बोराणा पुखराज जांगिड़ए युवा मोर्चा पदाधिकारी आनंदसिंहए जीतेश कलियाए पवन वैष्णवए रामप्रकाश भंसालीए भुवनेश व्यासए हनुवंत सिंह पंवारए सुनील श्रीवास्तवए सोहन प्रजापतए राजेश कच्छवाह सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए।

बसोद शोभायात्रा में दिखे विवेकानंद के अनेक रूप


सिरोंज। स्वामी विवेकांनद सार्ध शती समारोह समिति द्वारा स्वामी विवेकांनद की जयंति पर शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। करीब चार किलोमीटर लंबी इस शोभायात्रा में सैकड़ो महिलाएं और युवतियां कलश लेकर शामिल हुई वहीं अनेक युवा और बच्चे विवेकांनद की वेशभूषा में सजे दिखाई दिए। इस दौरान पग पग पर नागरिकों एवं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा फूलों की पखुंडियों से शोभायात्रा में शामिल भारत माता के साथ अन्य झांकियां,विवेकानंद जी के स्वरूपों एवं कलष यात्रा में शामिल माताओं बहनों का स्वागत किया। यात्रा का समापन केडीबीएम कालेज में भारत माता की आरती के साथ हुआ।  
स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जंयति के अवसर पर शहर के मुख्य मार्गो से निकली शोभायात्रा में सकल समाज की महिला पुरूष बच्चों के साथ युवाओं का ऐसा हुजूम उमडा जिसने अब तक शहर में निकली शोभायात्राओं में सफलता का इतिहास रच दिया। उत्साहपूर्ण वातावरण के माहौल में बृज कालोनी स्थित भारतीय विद्या मंदिर से प्रारंभ होकर निकली इस शोभायात्रा में सबसे आगें रथ पर सवार भारत माता की झांकी थी जिसकी आगवानी करते हुए दो घुडसवार केसरिया ध्वज लेकर चल रहे थें। जिनकें पीछे कलष यात्रा में सजे कलषों को लेकर शामिल हुई महिलाऐं एवं नगर के विभिन्न विधालयों की बहिनें कतारबद्ध होकर चल रही थीं। करीब एक कि.मी. के दायरें में फेल कर चल रही इस शोभायात्रा के मुख्य आर्कषण का केन्द्र स्वामी जी की बेषभूषा धारण कर चल रहे युवा थें।

शनिवार सुबह 11 बजे से भारतीय विद्या मंदिर हायर सेकेण्डरी स्कूल में स्कूल और कालेज के विद्यार्थियों के साथ ही काफी संख्या में महिलाओं और पुरूषों का आगमन शुरू हो गया था। स्कूल परिसर में विभाग संघचालक सत्यनारायण शर्मा द्वारा स्वामी विवेकांनद के जीवन और उनकी शिकागों यात्रा से जुड़े संस्मरणों पर प्रकाश डालने के उपरांत यहीं से समिति द्वारा आयोजित भव्य शोभायात्रा का शुभारंभ हुआ। शोभायात्रा में संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के साथ साथ क्षेत्र के सैकड़ो नागरिक कदमताल करते हुए चल रहे थे। जिनमें प्रमुख रूप से सत्यनारायण शर्मा,घनश्याम रघुवंशी,राजेन्द्र खोड़के, पन्नालाल मीणा,पतंजली योग समिति के अध्यक्ष दिनेशचंद्र गर्ग, सार्ध सती समारोह समिति के तहसील संयोजक सतीश श्रीवास्तव, रघुनंदन शर्मा,संतोष द्धिवेदी,चक्रेष श्रीवास्तव,अविनाष नेमा राजकुमार यादव,षिवेन्द्र छोकर,षैलेन्द्र दांगी,आनंद त्यागी,नरेन्द्र सेंगर, कृष्ण मुरारी चैरसिया,अषोक श्रीवास्तव,कमलेष रघुवंषी,सचिन शर्मा,षुभम शर्मा, अजय दुबे,राजेन्द्र गर्ग, रमेश यादव, कैलाष शर्मा,संतोष चैरे,हमीर सिहं यादव, मनोज साईंनाथ, वस्त्र व्यापार संघ के अध्यक्ष सुमंत मित्तल, हिन्दू उत्सव समिति के महामंत्री विष्णु गर्ग के साथ ही अनेक गणमान्य नागरिक शामिल थे।

झांकिया रही आर्कषण का केन्द्र
शोभायात्रा की आगवानी भारत माता का वेश धरे रथ पर सवार एक नन्ही बालिका द्वारा की जा रही थी।  जिसके बाद अन्य रथों पर स्वामी विवेकानंद का रूप धरे बालक भी सवार थे। इसके साथ ही शोभायात्रा में विभिन्न स्कूलों और संस्थाओं की झांकियां भी शामिल थी। जिनमें भारत माता के साथ ही विवेकानंद जी प्रसगों पर आधारिते स्वरूप सजाए गए थे। मां बिंदेश्वरी दुर्गा उत्सव समिति की झांकी में मातृभाषा का महत्व प्रदर्शित किया गया था।

कलश लेकर बहिनें हुई शामिल
शोभायात्रा में सिर पर मनभावन तरीके से सजे हुए कलष रखकर नन्ही-नन्ही बालिकाएं और सैकड़ो किशोरियां तथा युवतियां चल रही थी। संघ के अनुशासन को धारण किए ये सभी बालिकाएं और युवतियां स्वामी विवेकानंद, भारत माता एवं वंदेमातरम् के जयकारे लगाते हुए चल रही थी। इसके उपरांत सिर पर कलश रखे अनेक महिलाएं कतारगद्ध होकर चल रही थी। इनके उपरांत क्षेत्र के केसरिया ध्वज थामे विभिन्न स्कूलों और कालेज के सैकड़ो छात्र-छात्राएं स्वामी विवेकानंद के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में सर्वाधिक आकर्षक का केन्द्र विवेकांनद का रूप धरे युवा, छात्र और छात्राएं थी। विवेकांनद की वेषभूषा में सजे ये सभी लोग एक साथ कदमताल कर रहे थे। आयोजन को देखने आए जनसैलाब को इन नन्हे विवेकांनद ने खासा प्रभावित किया।

दर्जनों स्थानों पर किया जोरदार स्वागत
शहर में जहां-जहां से यह शोभायात्रा निकली नागरिकों ने पुष्प वर्षा का इसका स्वागत किया। नपा कार्यालय के सामने नपा परिषद एवं जनपद कार्यालय के सामने जनपद पंचायत द्वारा स्वागत किया गया। इसी तरह सिनेमा चैराहे पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से, चांदनी चैक में कांग्रेस कमेटी एवं एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने, चांदनी चैक में ही मध्यप्रदेश शिक्षक संघ ने, ब्राम्हण महापंचायत ने तथा कठाली बाजार में वंदे मातरम् सेवा संघ की ओर से शोभायात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। शोभायात्रा का समापन कष्टम पथ पर स्थित केडीबीएम कालेज में हुआ। समापन पर एकत्रीकरण के उपरांत सामूहिक रूप से भारत माता की आरती उतारने के उपरांत प्रसाद वितरण किया गया।

Wednesday, January 16, 2013

स्वामी विवेकानन्द सार्धशती के अवसर पर बड़ोदरा में बाना विश्व रिकार्ड


दिनांक 12 जनवरी को बड़ोदरा (गुजरात) के अकोटा स्टेडियम में स्वामी विवेकानंद सार्धशती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बीआरजी ग्रुप द्वारा संचालित बीआरजी स्पोर्ट्स कल्चर एजुकेशन फोरम और उर्मि स्कूल - गुजरात पब्लिक स्कूल के 1600 विद्यार्थियों ने मानव मशाल की आकृति बनाई |  जिसमे छात्र स्वामी विवेकानंद की वेशभूषा में थे | मानव मशाल 186 फिट लम्बी और 54 फीट चौड़ी थी | वीर सेनानी विवेकानंद तुम्हे बुलाते है ,उठो जवान ........ के गीत की धुन पर यह मानव मशाल लगातार 15 मिनिट तक प्रज्वलित दिखाई दी | इस पूरे कार्यक्रम में ब्रिटेन से आये गिनीज बुक वलर्ड रिकार्ड के प्रतिनिधि रिचर्ड स्टेलिंग उपस्थित रहे |


भव्य शोभायात्रा से विवेकानन्दमय बना उदयपुर


25 दिसंबर के संकल्पीत पंद्रह सौ माता -बहनों व पुरूषों ने आज प्रकट किया अपना संकल्प पूरा करते हुए भव्य शोभायात्रा निकाली। स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह समिति उदयपुर ने सार्द्धशती समारोह के संपूर्ण वार्षिक कार्यक्रमों (12 जनवरी 2013 से 12 जनवरी 2014 ) का श्री गणेश आज उदयपुर में स्वामी विवेकानन्द की जयंती के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा के द्वारा किया। शोभायात्रा  कि भव्यता व महत्ता का देखते हुए इसे चार स्थानो से प्रारम्भ किया गया।
श्री रामकृष्ण परमहंस शोभायात्रा:-
यह शोभायात्रा पटेल सर्कल से प्रातः 10.45 बजे प्रारम्भ हुई जिसे पुर्व गृहमंत्री श्री गुलाबचंद जी कटारिया एवं आलोक संस्थान के संस्थापक श्रीमान श्यामलाल जी कुमावत ने केसरिया पताका दिखाकर शुभारम्भ किया । यात्रा के संयोजक श्री विनोद गदिया, श्री सुभाष जी जोशी, श्री ऋषभ कुमार जैन, श्री जयन्त जी ओझा, श्री दिनेश जी भट्ट, श्री रविन्द्र जी श्रीमाजी एवं ताराचंद जी जैन व नगर साभापति  श्रीमति रंजनी डांगी थे । यात्रा का प्रारम्भ पटेल सर्कल से न्यू रेलवे स्टेशन, उदियापोल होते हुए सुरजपोल स्थल पर महासंगम का हिस्सा बनी । शोभायात्रा में हजारो की संख्या में माताएं बहिनें, बालक-बालिकाएं व विभिन्न समाजों के गणमान्य नागरिक सम्मिलित हुए । विशेषतः मार्ग में 12 गेट, 11 स्कूल के बच्चों के प्रतिनिधित्व सहित शोभायात्रा का विशेष आकर्षण विभिन्न झंाकिया जिनमें स्वामी विवेकानन्द, भारत माता, महाराणा प्रताप, भिलू राजा आदि अनेकानेक झांकिया शोभायमान थी । सम्पूर्ण यात्रा का मार्ग में विभिन्न समाजों द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया गया गया जिसमें जवाहर नगर पर सिन्धी समाज एव नटराज होटल परिवार द्वारा अल्पाहार एवं फल वितरण, जलपान आदि कि व्यवस्था थी ।
माँ शारदा शोभायात्रा:-
यह शोभायात्रा प्रातः 11.00 बजे बी.एन. संस्थान से प्रारम्भ हुई जिसे पुजनीय सुरेशगिरी जी महाराज एवं बी.एन. संस्थान के मेनेजिंग डायरेक्टर श्री निरंजन नारायण सिंह जी द्वारा केसरिया पताका दिखाकर प्रारम्भ की गई । शोभायात्रा का संयोजन श्री महिपाल जी राठोड, डा.कोैशल जी शर्मा, गणपत जी लौहार, गोपाल जी सोनी एवं पंकज पालिवाल द्वारा किया गया। शोभायात्रा बी.एन. ग्राउण्ड से प्रारम्भ होकर गुरूद्वारा के सामने पहुंची जहां पर सिख समाज के मुखियाओं द्वारा पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया गया । यात्रा के पुरे मार्ग में अन्यन्य संगठनों द्वारा स्वागत द्वार लगाकर स्वागत किया गया । शोभायात्रा के अग्रसर अश्वधारी दो युवा थे जिनके हाथ में केसरिया पताका थी । शोभायात्रा में भगवान एकलिंगनाथ की झांकी, नाराण सेवा की झांकी, अग्नि शमन , स्वामी विवेकानन्द माँ काली की आराधना , पर्यावरण सुरक्षा , रामसेतु तोडने का विरोध प्रदर्शित करती, भारत माँ की आराधना करती, पाकिस्तान द्वारा भारती सैनिक के सर काटने की बर्बरता को दर्शाति झांकी विशेष आकर्षण का केन्द्र थी ।  शोभायात्रा में एन.सी.सी. केडेट्स, विभिन्न काँलेजों सहित 27 संस्थाओं के प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व था । सम्पूर्ण यात्रा का मार्ग में विभिन्न समाजों द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया गया गया यात्रा के प्रारंभ में अल्पाहार एवं फल वितरण, जलपान आदि कि व्यवस्था थी ।

स्वामी विवेकानन्द शोभायात्रा:
यह शोभायात्रा भूपालपुरा ग्राउण्ड से प्रारम्भ हुई जिसे श्री विजयलाल जी तायलिया,  श्री प्रभुदास जी पाहुजा द्वारा केसरिया पताका दिखाकर प्रारम्भ कि गई । यात्रा  भूपालपुरा ग्राउण्ड  से प्रातः 11.00 बजे प्रारम्भ हुई जो कि शास्त्री सर्कल, देहलीगेट, बापुबाजार होते हूए संगम स्थल सूरजपोल पहुंची। यात्रा संयोजक श्री नेत्रपालसिंह यादव, श्री यशवन्त जी पालिवाल, श्री महेन्द्र जी दोषी, श्री गोपालकुष्ण जी गौड, राजेश जी माली, पंकज जी चित्तौडा आदि थे । शोभायात्रा में आदर्श हिन्दू परिवार, शहिदों को प्रणाम, महाराणा प्रताप, विवेकानन्द जी पर विशेष झाँकियां आकर्षण का केन्द्र थी । शोभायात्रा में अग्रिम पंक्ति में दो अश्वारूढ महापुरूषों की वेशभुषा में युवा थे । सम्पूर्ण यात्रा  मार्ग में विभिन्न समाजों द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया गया गया जिसमें अल्पाहार एवं फल वितरण, जलपान आदि कि व्यवस्था थी ।

भगिनि निवेदिता शोभायात्रा:-

यह शोभायात्रा ऐतिहासिक धार्मिक स्थल श्री जगदीशचैक से प्रातः 11.00 बजे प्रारम्भ हुई जिसे खास औदी के महन्त परम पूजनिय श्री प्रयागगिरी जी महाराज एवं मेलडी माताजी के महन्त पूज्य विरमदेवी जी महाराज तथा केन्द्रीय उपाध्यक्ष मेवाड क्षत्रिय महासभा  के श्रीमान शक्तिसिंह जी कारोई द्वारा भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की पूजा अर्चना कर तथा श्री विवेकानन्द जी के चित्र पर माल्र्यापण तथा पुष्प  अर्पित कर केसरिया ध्वजा दिखाकर शंख घ्वनि के साथ यात्रा प्रारम्भ हुई| शोभायात्रा के संयोजक श्री हिरालाल जी सोनी, श्री कमलेन्द्र सिंह पंवार, श्री हरिश जी तिवारी, विवेक जी बोहरा, दिनेश जी मकवाना, क्ष्णकान्त जी शर्मा, महेन्द्र जी नागदा, सुखलाल जी द्वारा किया गया । शोभायात्रा जगदीश चैक से प्रारम्भ होकर घण्टाघर, बडा बाजार, सिन्धी बाजार, मुखर्जी चैक, झीणीरेत चैक होते हुए महासंगम स्थल सूरजपोल पर पहुंची । शोभायात्रा में शिव सेना, भारतीय मजदूर संघ, धर्मोत्सव समिति, बजरंग सेना, महाराणा प्रताप सेना, मेवाड क्षत्रीय महासेना, पहल संस्थान, बजरंगबली प्रचार समिति, राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति, राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ, राजस्थान शिक्षक संघ, राष्ट्रीय रामकृष्ण दल, चंादपोल सेवा समिति के साथ ही विभिन्न सकूलों के बालक बालिकाओं सहित समाज के गणमान्य नागरिक मौजुद थे । विशेष आर्कषण का केन्द्र शोभायात्रा के दौरान सजी हुई विभिन्न झाँकिया (महाराणा प्रताप,भारत माता,राधाकृष्ण मॅंा शारदा आदि) अखाडा, अग्रिम पंक्ति में अश्व पर स्वामि विवेकानन्द बने हुए प्रतिरूप थे ।
सम्पूर्ण यात्रा का मार्ग में विभिन्न समाजों द्वारा स्वागत अभिनन्दन अल्पाहार एवं फल वितरण द्वारा किया गया ।

महासंगम स्थल विवेकानन्द मय बना सूरजपोल चैराहा:-

एतिहासिक स्वामी विवेकानन्द की शोभायात्रा का महासंगम सूरजपोल चैराहे पर चारों स्थानों से एकसाथ 12.00  बजे हुआ । एतिहासिक महासंगम समयबद्व अनुशासित रूप से पहली बार इतनी बडी तादाद में शोभायात्रा जिसमें अनेकानेक झांकिया, घुडसवार, समाज के प्रबुद्वजन,  स्कूली विघार्थी आदि थे ठीक समय पर हुआ । यहाँ से चारों शोभायात्राओं का एकसाथ टाउन हाँल प्राँगण पर समापन हुआ जहाँ प्रसाद वितरण आदि किया गया । यात्रा के प्रारम्भ स्कूली बच्चे स्केटींग के करतब दिखाते हुए चल रहे थे जिनके पिछे घोडों पर स्वामी विवेकानन्द जी के प्रतिरूप में बिराजित थे साथ ही अखाडा, गवरी प्रदर्शन एवं साहसिक करतब दिखाते हुए युवा चल रहे थे ।

झाकिया

विवेकानन्द  बनें युवा व बच्चे,एंकलिगनाथ जी की झाकी,भारता माता की झाकी,महाराणाप्रताप की झाकी,आदर्श परिवार की झाकी,कलश यात्रा की झाकी,राष्ट्रीयसेवा योजना की झाकी, राष्ट्रीयकेडेंट कोर की झाकी,शहिदो को नमन की झाकी, कशमीर के शहीदो की झाकी,स्केटीग दलो की झाकीयो नें भाग लिया। सम्पूर्ण यात्रा का  संयोजन जितेश श्रीमाली ने किया।

जयपुर शहर में निकली विशाल शोभायात्रा


जयपुर 12 जनवरी। स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जयन्ती वर्ष के पूर्ण होने पर ‘‘स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह’’ के नाम से किये जाने वाले वर्षभर के कार्यक्रमों का भव्य शुभारम्भ आज विषाल शोभायात्रा द्वारा गुलाबी नगर सहित सम्पूर्ण देषं में प्रारम्भ हुआ।
राजस्थान क्षेत्र के लगभग 700 स्थानों पर विवेकानंदजी की विशाल शोभा यात्रा निकाली गयी। शहर में कार्यक्रम के संयोजक हरीहर पारिक ने बताया की जयपुर में दो स्थानों से विषाल  शोभायात्राएं निकली।
दो स्थानों से शोभायात्रा
स्वामी  विवेकानंद सार्ध शती समारोह समिति द्वारा जयपुर में दो स्थानों चांदपोल गेट व सांगानेरी गेट से विषाल शोभा यात्राएं निकाली। दोपहर 1 बजे से शोभायात्राएं प्रारम्भ होकर विभिन्न मार्गो से होते हुए मेडिकल कालेज पर सम्पन्न हुई।
मार्ग 1 - चांदपोल, छोटी चैपड, त्रिपोलीया गेट, चैडारास्ता, न्यू गेट, रामनिवास बाग होते हुए मेडिकल कालेज पर सम्पन्न ।
मार्ग 2 - सांगानेरी गेट, जौहरी बाजार, बडी चैपड, त्रिपोलीया गेट, चैडारास्ता, न्यू गेट, रामनिवास बाग होते हुए मेडिकल कालेज पर सम्पन्न ।
150 विवेकानन्द मुख्य आकार्षण
स्वामी विवेकानंद सार्ध शती समारोह समिति द्वारा निकलने वाली शोभायात्राओं में 150 विवेकानन्द मुख्य आकार्षण रहे। शोभायात्रा में हाथी घोडो के लवाजमें के साथ बलवन्त व्यायामषाला तथा स्वामी विवेकानन्द के जीवन का दर्षन कराती लगभग 100 झांकीयां बैण्ड बाजो के साथ निकली।
सम्पूर्ण समाज हुआ शामिल
विवेकानन्द सार्धषती अयोजन समिति द्वारा निकाली गई विषाल शोभायात्रा में पारीक समाज, सिंधी समाज, माली समाल, कोली समाज, खण्डेलवाल समाज, खटीक समाज, सहित विष्व हिन्दू परिषद, मजदूर संघ, व़िद्यार्थी परिषद, दुर्गा वाहिनी, सुरमन संस्थान, सेवाभारती के साथ 50 विद्यालयो के 8 हजार विद्यार्थी झांकियो सहिम शामिल हुए।
संत समाज व धार्मिक संस्थान हुए शामिल
विवेकानन्द सार्धषती अयोजन समिति की शोभा यात्रा में श्री गणेष मन्दिर मोती डूंगरी, दक्षिणमुखी बालाजी, हाथोज, श्री सुधांषु जी महाराज, रामकृष्ण मिषन, गायत्री परिवार, स्वामी रामदेव, माता अमृतानंदमयर जी, अमरापुरा संस्थान के साथ विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी की झांकिया सम्मिलित थी।

भारत जागो ! विश्व जगाओ !! से गूंजी संतरा नगरी

"भारत जागो ! विश्व जगाओ !!", स्वामीजी की बात सुनो - उठो ! जागो !! वीर बनों, आज की आनंद की जय विवेकानन्द की, जैसे जोशवर्धक जयघोष से संतरा नगरी गूंज उठी। स्वामी विवेकानन्दजी की 150वीं जयंती पर स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह समिति, नागपुर महानगर की ओर से निकाली गई इस भव्य शोभायात्रा में लगभग 20,000 से अधिक नगरवासी सहभागी हुए, जिनमें शहर के विविध संस्थाओं के 7000 हजार से अधिक कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। बच्चे, बूढ़े और जवानों सहित बड़े-बुजुर्ग भी सम्मिलित हुए। 12जनवरी, 2013 को संपन्न हुए इस शोभायात्रा का शुभारम्भ कालीमाता मंदिर में माँ काली के पूजन से हुआ। इस दौरान महिलाओं द्वारा शंखनाद किया गया। तत्पश्चात समारोह का उद्घाटन किया गया। रामकृष्ण मठ, नागपुर के अध्यक्ष स्वामी ब्रम्हास्थानन्द स्वामी ने अपने उद्बोधन में स्वामी विवेकानन्दजी के विचारों को वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में अधिक प्रासंगिक बताते हुए कहा कि स्वामीजी का आदर्श लेकर ही भारत का उत्थान हो सकता है।

इस अवसर पर सार्धशती समारोह महाराष्ट्र राज्य के उपाध्यक्ष श्री विलास काले, राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका वन्दनीय शंताक्का, नागपुर के महापौर अनिल सोले, शैक्षिक आमदार नागो गाणार, कमलाताई मुखर्जी, रा. स्व.संघ के नागपुर महानगर संघचालक डॉ. दिलीप गुप्ता, नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.विलास सपकाल, शोभायात्रा के संयोजक एड. रमण सेनाड, सार्ध शती के संयोजक सोमदत्त करंजेकर, विवेकानन्द केंद्र के विदर्भ विभाग प्रमुख आनंद बगड़िया मंचासीन थे। शोभायात्रा में अनेक विधायक, मंत्री, लोकप्रतिनिधि, शिक्षाविद व गणमान्य नागरिक प्रमुखता से उपस्थित थे।
शोभायात्रा में कुल 61 झांकियां थीं, जिनमें सेवा कार्य करने वाली 155 संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
शोभायात्रा में अनेक आकर्षण के केन्द्र थे, जिनमें अंध विद्यालय के छात्रों तथा विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा लेजिम पथक, युवाओं द्वारा खड्ग युद्ध तथा दांड पट्टा प्रात्याक्षिक के साथ ही विद्यालयीन छात्र-छात्राओं द्वारा बैंड पथक प्रमुख थे। झाँसी रानी चौक पर राष्ट्र सेविका समिति की बहनों ने तलवारबाजी तथा लाठी युद्ध द्वारा के माध्यम से समाज में स्वरक्षण, शीलरक्षण व समाज रक्षण का संदेश दिया। स्वामी विवेकानन्द के विविध चित्रों तथा विचारों पर आधारित 61 झांकियों थीं। झांसी रानी चौक पर बर्फ से बनी स्वामीजी की मूर्ति भी इस यात्रा का आकर्षण का केंद्र रहा। इसके साथ ही चलते रथ पर सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन, मेहाडिया चौक पर दही हांडी का प्रात्यक्षिक तथा मार्ग के विभिन्न स्थानों पर अनेक संस्थाओं द्वारा पथनाट्य प्रस्तुत किये गये। यात्रा में विविध संस्थाओं द्वारा 61 चित्ररथ के माध्यम से समाज परिवर्तन व जागृति का संदेश दिया । शोभायात्रा में नागपुर महापालिका द्वारा संचालित शालाएं तथा निजी विद्यालय व महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भारी संख्या में सम्मिलित हुए। शोभायात्रा को सफल बनाने के लिए मनपा ने पूर्ण सहयोग किया। महेश्वरी समाज द्वारा 10 हजार लड्डू, झेप संस्था द्वारा समोसे, बापट परिवार तथा नानिवडेकर सभागृह द्वारा प्रसाद वितरित किया गया।

विवेक विचार साहित्य सेवा' के रथ के माध्यम से स्वामी विवेकानन्दजी की जीवनी तथा विचारों पर आधारित हिन्दी, मराठी तथा अंग्रेजी में साहित्य की भरी मात्रा में विक्री की।  शोभायात्रा में बनवारीलाल पुरोहित, मा. गो. वैद्य निखिल मुंडले, भरत जोशी, संदीप जोशी, मुक्ताताई पत्तार्किने, सारिका पेंडसे, विवेकानन्द केंद्र की जीवनव्रती कार्यकर्ता प्रियंवदा दीदी, गौरीताई खेर, अरुणा  ताई देशपांडे अपर्णा केसकर, गुलाबराव वंजारी आदि अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।  

Swami Vivekananda 150 Jayanti : Kanyakumari

12.1.2013: Kanyakumari : Today in Kanyakumari, there was a grand procession on the occasion of Swami Vivekananda's 150th Birth Anniversary. At Vivekananda Mandapam, after offering flowers to Swamiji by Swami Chaitanyanandaji Maharaj of Sri Ramakrishna Ashram, Vellimalai, and the Superintendent of Police Kanyakumari District flagged the procession. Swami Vivekananda was placed on the elephant followed by 150 children dressed like Swami Vivekananda, 2500 students from V K Vidyalaya, St Anthony, Jnanadeepam, Amrita Vidyalay, Govt Higher Secondary school Ottialvidu, Vivekananda College and Polytechnic Agastiswaram accompanied by band, kolattam, silam battam, karakattam and staff of VK and VK Vidyalaya along with reputed people of Kanyakumari participated in the procession which was almost 1.5 kms long and it covered around 5 kms distance.

Swami Vivekananda 150th jayanti celebrations at bowenpalli - secunderabad



The program was followed by a two wheeler rally with about 150 vehicles. Total Sakhya Tarun 200, Bal 50. Flag off was done by Sri prathap. 12.1.2013 : secunderabad : Sri Uppal Raju was the chief guest who spoke about Swamiji. Other guests included Sri jai hind singh thakur, (advocate),  sri konda srikanth,(entrepreneur) and sri j.prathap (secunderabad cantonment board member).

Massive Shobha Yatra at Delhi

The year long celebrations to commemorate 150th birth anniversary of Swami Vivekanand were inaugurated today by a massive ‘Shobha Yatra’ (Celebratory March) in which more than 15,000 persons belonging to various walls of life participated. The march started from Red Fort and covered Chandni Chowk, Khari Baoli, Lahori Gate, Novelty Cinema, Delhi Railway Station and back to Red Fort (3.5 km). Thousands of residents of the area, business establishments, religious organisations, academic institutions etc welcomed the Shobha Yatra by presentation of bouquets and spreading of flowers petals, etc. The whole route was decorated with banners and welcome gates.
The purpose of the year long celebrations is to spread the message of swami ji amongst all sections of society, particularly the Indian youth which is the future of the country. Swamiji’s message deals with comprehensive awakening of the nation; spiritual, economic, cultural, academic and industrial. Even though Swamiji is remembered the most through his Chicago “Brothers and Sisters of America” lecture, but his concerns about India, Indians and their portion in the world meet much beyond that iconic lecture. It is not widely known, for example that Swamiji was responsible for encouraging Tatas to establish Steal Factories to spur the industrial growth of the nation. Swamiji was also the initiator of the idea of establishing Indian Institute of Sciences.

The Shobha Yatra was addressed by prominent spiritual, social and cultural leaders.  Some of the prominent social and spiritual leaders who inspired the march included the renowned academic and spiritual thinker Dr. Pranav Pandya who also addressed the gathering before the start of the march. Others who participated included Shanta Atmanandji (Rama Krishna Ashram), Sh. P Parmeshwaran ji of Vivekanand Kendra Kanya Kumari, Pramila Taiji Medhe, Swami Vivekanathji of Valmiki Samaj, Swami Raghwanand ji and Swami Retambhranand ji. The March was blessed by Poojya Amma Ma Amritanandmayi ji. All the speakers emphasized the fact that for the reawakening of the nation, Swami ji should be the role model of the youth in the country.  

A large number of tablens depicting various aspects of the life and message of Swamiji (like Awake India & and Awaken the World, Rock Memorial, Rama Krishna Paramhans, Chicago lecture, etc) participated in the March. The Yatra was joined by a large number of schools and students, business organisations, farmers associations, labour unions, women organisations, cultural groups, diverse religions groups, artists, etc. More than hundred delegates from all followers of Swami Vivekanandji also participated.

The nodal agency of the year long Vivekanand 150 celebrations in the Vivekanand Foundation, New Delhi. The purpose of the celebrations is to revive the spirit of Vivekanand ji among all sections of the society across the length and breadth of the country. Schools and colleges, Universities, Villages, Under privileged sections of society, women, sc’s/st’s North Eastern States, etc shall be mobilized to spread the message of swamiji. It is aimed that more than 40 million (4 crore) households are contacted during the year long celebrations which will conclude on 12th Jan. 2014.

स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती पर भव्य षोभायात्रा - नई दिल्ली - 12 जनवरी, 2013

नई दिल्ली - 12 जनवरी, 2013 - उतिष्ठ जागृत का उद्घोष करने वाले आधुनिक सन्त स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती कीशुरूआत देश की राजधानी दिल्ली में स्वामी विवेकानन्द शोभा यात्रा के रूप में हुई। कार्यक्रम की शुरूआत मंचीय कार्यक्रम से हुई जो लालकिले पर हुआ। मंच में स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह समिति की अखिल भारतीय अध्यक्षा पूज्य माता अमृतानन्दमयी देवीजी (अम्मा), गायत्री परिवार के प्रमुख डा. प्रणव पण्डया, नारायणगुरू संस्थान केरल के अध्यक्ष स्वामी ऋतम्भरानन्द जी, विष्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन महामन्त्री श्री दिनेषचन्द्र जी, विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के अध्यक्ष श्री पी. परमेष्वरन जी, राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिला ताई मेढे जी, वाल्मीकि समाज के सन्त स्वामी विवेकनाथ जी महाराज, स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव श्री अनिरूध देशपाण्डे जी, स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह समिति दिल्ली के अध्यक्ष श्री राधेश्याम गुप्ता जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली के प्रान्त संघचालक श्री कुलभूषण आहुजा जी उपस्थित थे।

मंच से गायत्री परिवार के प्रमुख डा। प्रणव पण्डया ने सम्बोधित किया। उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का जन्म गौरव महसूस कराता है। इस देश की आजादी का आधार स्वामी विवेकानन्द बने लेकिन सांस्कृतिक आजादी नहीं मिल पायी। स्वामी जी ने आशावाद जगाया, अद्वैतवाद को पुनः जागृत किया। उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द युवाओं के ‘रोल माँडल’ होने चाहिए। जीवन से नकारात्मकता हटाना ही सन्यास है। दिषाहीन युवा नकारात्मक देश खडा करता है। स्वामीजी के जीवन और संस्कार में सकारात्मकता के अलावा कुछ नहीं था। स्वामी विवेकानन्द को हरेक के जीवन में उतारना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिये। भारत ही विश्व को दिशा दे सकता है। हमारा लक्ष्य अपने ज्ञान से लोगों को दिशा देना होना चाहिये। अब वह समय आ रहा है जब लोग हमें निहारेंगे, उस समय के लिए हम तैयार रहें।

माता अमृतानन्दमयी देवीजी (अम्मा) ने अपने सन्देश में कहा कि स्वामी विवेकानन्द महान कर्मयोगी रामकृष्ण परमहंस के ऐसे पुष्प थे जिन्होने सबको सुगन्धित किया। आध्यात्मिकता केवल जंगल में सन्यास नहीं, समाज का जीवन सुधारना है। समस्त समाज को उठाने का आधार सही     शिक्षा है उसके लिए उचित शिक्षा पद्धति की अपेक्षा है।

कार्यक्रम के अन्त में लालकिले से स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन को दर्शाती भव्य झांकियां निकाली गई जिसमें स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती के उद्देश्यों को दर्षाती पांचों आयामों (युवा, प्रबुद्ध भारत, संवर्धिनी, ग्रामायण और अस्मिता) से जुडी झांकियां भी प्रस्तुत की गई। लालकिले से भव्य शोभायात्रा चान्दनी चैक, खारी बाउली, लाहौरीगेट, नाँवल्टी सिनेमा, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेषन से होती हुई वापस लालकिले पर समाप्त हुर्ह। शोभायात्रा का स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया। शोभायात्रा में बडी संख्या में स्कूली बच्चों, महिलाओं तथा नागरिकों ने भाग लिया।

स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह का भव्य रूप से उदघाटन

11/1/2013 नई दिल्ली। स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह का आज नई दिल्ली स्थित सीरीफोर्ट सभागार में 2400 गण्मान्य नागरिकों की उपस्थिति में भव्य रूप से उदघाटन किया गया। स्वामी विवेकानन्द जी के जन्म के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में समस्त भारत में साल भर चलने वाले कार्यक्रमों की प्रस्तावना इस समारोह में रखी गई। समारोह समिति की अध्यक्षा माता अमृतानन्दमयी देवी जी इस कार्यक्रम में मुख्य अध्यक्षा के नाते मंच पर उपस्थित थीं। मंच पर उपस्थित महानुभावों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक माननीय मोहनराव भागवत जी, श्री जयेश गाधिया जी, राष्ट्र सेविका समिति की निर्वतमान अध्यक्षा प्रोमिला ताई मेढे जी, मा. परमेषवरन जी, डा. प्रणव पांड्या जी स्वामी ऋतंम्भरानन्द जी, आचार्य मुनि पुल्केष जी, स्वामी निखिलानन्द जी तथा श्री ए. देशपाण्डे जी विराजमान थे।  

माननीय मोहनराव जी भागवत ने अपने उदबोधन में विवेकानन्द जी के जीवन पर बोलते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी की जो दृष्टि थी तथा जो उन्होंने बताया वही कार्य आज संघ कर रहा है। उन्होंने बताया कि स्वामी जी ने कभी जाति, धर्म, समुदाय के आधार पर मनुष्य में भेद नहीं किया। स्वामी जी के विचारों से अवगत करवाते हुए उन्होंने बताया कि आपमें शक्ति होना बहुत आवष्यक है, सनातन धर्म में होते हुए भी स्वामी जी ने लोगों से कहा था कि गीता पढ़ने से अच्छा है फुटबाल खेलना, जिससे शरीर बलषाली हो। उनका मानना था कि कमजोर राष्ट्र कभी सर उठाकर नहीं खड़ा हो सकता इसलिए दुनिया के सामने अपने को सक्षम बनाने के लिए हमें शक्ति अर्जित करनी चाहिए। उनका यह भी मानना था कि हम भटकी हुए दुनिया के साथ खड़े होने के लिए नहीं हैं अपितु भटकी हुए दुनिया को सही मार्ग व दिषा देने के लिए बने हैं। उन्होंने बताया आज की सभी समस्याओं का हल व्यक्ति के संकल्प पर टिका है, बुराइयों को समाप्त करने की पहल मैंने करनी है, अपने परिवार से करनी है, ऐसा संकल्प सभी लेते हैं तो कोई समस्या नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि विवेकानन्द जी की 150वीं वर्षगांठ का यह वर्ष देष के उत्थान तथा दुनिया को दिशा देने का महत्वपूर्ण वर्ष होगा तथा भारत जागो विश्व जगाओ के उदगोष को सार्थक करेगा।

स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती पर भव्य षोभायात्रा - झारखंड


रांची, विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी के निर्देशन में स्वामी विवेकानन्द सार्घषती समारोह समिति झारखंड द्वारा स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती के अवसर पर आज राजधानी रांची के मोराबादी मैदान  में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम से पूरे वर्ष भर तक चलने वाले कार्यक्रमों का विधिवत उद्घाटन किया गया। इसी क्रम में झारखण्ड के गांव-गांव तक प्रभात फेरी एवं षोभा यात्रा निकाली गई है।प्रातः 7 बजे से ही 15 स्थानों से षोभा यात्रा निकालना प्रारंभ हुआ जिसमें माताओं-बहनों, समाज के प्रबुद्धजनों के साथ विद्यालयों के बच्चे बहुत बड़ी संख्या में सम्म्लित हुऐ। राँची के सभी दिशाओं से शोभा यात्राएं निकलकर 10 बजे से मोरहाबादी मैदान में एकत्र होना प्रारंभ हो गया। आयोजन समिति के लोगों ने षोभा रथ बनाकर मोटर साइकिलों एवं चारपहिया बाहनों के साथ षोभा यात्रा षहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए मोरहाबादी मैदान में एकत्र हुये।षहर के लगभग सभी मार्गो से निकलते हुए ये षोभायात्रा लोगों के आर्कषण के मुख्य केन्द्र थे। कुछ कार्यकर्ता स्वमी विवेकानंद जी के आकृति में लोगों को अभिभुत कर रहे थें। लगभग 11:00 बजे कार्यक्रम की विधिवत उद्घाटन समारोह समिति के संरक्षक मा. सिद्विनाथ सिंह, अध्यक्ष श्री हिमाषुं कुमार मेहता एवं आर.एस.एस. के क्षेत्र प्रचारक श्री स्वांतरंजन जी के द्वारा भारत माता पूजन व स्वामी जी केचित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। उपरोक्त अतिथियों के अलावा मंच पर विकास भारती के सचिव श्री अषोक भगत, सेवा भारती के प्रदेष अध्यक्ष श्री ओमप्रकाष केजरीवाल, श्री जेठा नाग,श्री रामाकांत राय, श्री प्रेम अगवाल, श्री एम.पी. सिंह ,डा. आनंद भूषन एवं श्री पवन मंत्री उपसिथत थे। उपस्थित पदाधिकारियों का परिचय श्री हरिनारायण यादव ने करवाया। कार्यक्रम की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्री विनोद गडियान ने कहा कि -25 दिस.12 को संकल्प दिवस के साथ आज स्वामी जी के 150 वी जयंती के अवसर पर सालभर तक अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा।

 स्वामी जी जिस भारत की कल्पना को साकार करने का स्वप्न देखा करते थें उसे मूर्तरूप प्रदान करने हेतु एवं समाज में जागरण हो,समाज स्वामी जी के आदर्शो को आत्म सात कर सके इसके लिये अनके प्रकार के कार्यक्रम पुरे साल समाज के सहयोग से किया जायेगा जिसका आज उद्घाटन हुआ ।आज इस पकार के कार्यक्रम झारखंड के लगभग 30,000 गांवों में प्रभात फेरी एवं कार्यक्रमों के माघ्यम से प्ररंभ की गया है ।विवेकानन्द जी के राष्ट्रीय विचारों का प्रचार-प्रसार समाज के हर वर्ग तक हो इस निमित्त पूरे कार्यक्रम को पाँच आयामों में बांटा गया है। युवा वर्ग के लिए - युवा षक्ति, समाज के संभ्रात एवं विवेकषील लोगों के लिए - प्रबुद्ध भारत, ग्रामीण लोगों के लिए- ग्रामायण, बहनों एवं माताओं के लिए - संबर्द्धिनी एवं जनजातीय समाज के साथ कार्य करने के लिए - अस्मिता नाम से वर्ष भर कार्यक्रम चलते रहेंगे।

वर्ष भर में चार केन्द्रीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें। आज 12 जनवरी, 2013 (स्वामी विवेकानन्द जयन्ती) - गांव-गांव तक विषाल ष्षोभा यात्रा एवं उद्घाटन समारोह। 18 फरवरी, 2013  - सामूहिक सूर्य नमस्कार महायज्ञ। 11 सितम्बर, 2013 (स्वामी जी द्वारा षिकागो विष्व धर्म सभा में ऐतिहासिक भाषण) - भारत जागो दौड़। 12 जनवरी, 2014 - भव्य समारोह समापन। इस प्रकार पूरे साल तक चलने वाले कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।अध्यक्षीय भासन समारोह समिति के अध्यक्ष एवं झारखंड उच्च न्यायालय के वरिस्ठ अध्विक्ता श्री हिमाषुंकुमार वर्मा तथा स्वामी जी के जीवन पर आधारित एक भावविभोर कर देने वाली कविता ‘‘ हम भारत माता की संतान’’ श्री हश्केष जी के द्वारा गाया गया। स्वामी जी का प्रसिद्व शिकागो भासन का भी वाचन इस दौरान आर्कषन का केन्द्र रहा।लगभग दो हजार नगरिको की उपस्थिति में यह कर्यक्रम अत्यन्त प्रेरणदयी रहा । मंच संचालन श्री अखिलेष जी तथा इस कार्यक्रम के सफल संचालन में श्री रषिंकर कुमार,श्री राकेष षुक्ला,श्री बाल भगवान सिंह, श्री रामलखन महतो, श्री रामावतार नारसरिया, डा। प्रदीप कुमार सिन्हा, श्री दीनदयाल सिंह, श्री अमरनाथ झा, श्री षत्रुध्न सिन्हा, श्री मनसु महतो, डा. आर. बी. पाठक, श्री विजय वत्सल, श्री गहतेष कुमार, श्री प्रशांत पाण्डेय सहित अनेंक लोगों की भूमिका प्रषंसनीय रही ।

Vivekananda message provides solutions to all our problems

Swami Vivekananda’s 150th Jayanthi celebrations started in Hyderabad

HYDERABAD : Swami Vivekananda’s messages continue to provide solutions to all our problems, but it only needs political will to tackle problems, said Sri Ravi Kumar Iyer, Saha Samyojak, Hindu Swayamsevak Sangh.  He was speaking as chief guest at the inauguration event of Swami Vivekananda 150th Jayanthi Celebrations in Hyderabad on January 5, 2013.

According to him, Swami Vivekananda’s life teaches us the basic essentials that our society needs to cultivate are enormous courage, youthfulness and positive energy. Recalling that Swami Vivekananda said he needed hundreds of youth who can change the fate of the country, he said now we are having numerous such youth who have been recognised for their unparallel intelligence and technical know how.

Though the media reports makes us to feel sad about prevailing conditions in the country, he said many young Indians have been achieving unpredictable glory though their immense intelligence through out the world. But the media has no time to look into that brighter side of the Indian icons, he said.

Referring to major outcry in the country following recent gang rape of a 23-yaer-old girl in the national capital New Delhi, Sri Ravi Kumar Iyer said we could have avoided such incidents had we aware of our people about Sita and Savitri.

He said India is completely a different nation in the world after 1998 Phokran nuclear test. The US President Bill Clinton, who had imposed sanctions against India after the nuclear test and practically imposed ban on Indian youth landing in US, was forced with in two years to visit India with a 50-member-old trade delegation to revival relations only to save their own economy.

 Recalling that Indians have been purchasing key industries in Europe from the open stock market and Indian brains have been contributing for the technological operations all over the globe, he said that Indians have been proving their upper hand in almost all sectors.

He recalled that India is one among three nations presently stated as registering high rate of development, only after US and China. Countries like Germany, France and Japan are not nearer to us, he added. India is the only democratic country registering more than 6 per cent growth rate continuously besides severe economic crisis, while all the western countries are struggling hard to gain 1 to 3 per cent growth rate, he said.

India has been emerging as a mighty scientific power in the world through its indigenous Information Technology, Super Computers and rocket technologies. Recently, when India successfully tested its Agni-V which can target intercontinental ballistic missile at range of 5,000 KM, he recalled that China deputed our claim and said it can target at a range of 8,000 KM and above. “That is how our technological capacities recognised in the world”, he added.

He said that Singapore Prime Minister once said that “If China’s growth rate frightens Asian nations; India’s growth rate gives security to other countries”. Sri Ravi Kumar Iyer said Yoga and Vedic knowledge are now spreading like wild fire all over the globe. He said that Swami Vivekananda makes the world to understand that “India is not a geographical entity, but a spiritual land”.

Recalling that an American young women, Tulasi (31) who took oath in their people’s representative house on Gita, first time by any one in the US, he said she is not Indian origin. He predicted in few decades, US may have a President who puts his trust on Hindu ethos.

Pujya Sri Sithikantananda Swamy, Monk of Sri Ramakrishna Math, Hyderabad, delivering Aashish prasang said that Swami Vivekananda is combination of Buddhath’s heart and Shankara’s mind. He said that Swami Vivekananda was the first person, who introduced India’s great spiritual strength to the world. According to him, while the western world always struggle hard to discuss on external phenomena’s of the human body, it was only Indian seers discusses on the internal world of the human body. The bedrock of India’s strength is spiritualism, he said.

Stating that youth in the age group of 20 to 28 are being attracted more towards Swami Vivekananda’s teachings and books published on Swami Vivekananda are widely sold presently, he expressed confidence that the future of this land will rest with glory in the hands of these youth.

Sri Hanumantha Rao, life worker of Vivekananda Kendra and treasurer of Swami Vivekananda 150th Jayanthi Celebrations Committee, said that the great contribution of Swamiji was to realise the people that men is embodiment of GOD and service to humanity is service to Madhav. Besides spiritual activity, Swami makes us to realise the need to look after the well-being of the humanity, which contributes essential part of spirituality.

Former DGP of Andhra Pradesh and State President of 150th Jayanthi Committee Dr K. Aravind Rao presided over the programme. Stating that Swami Vivekananda is relevant even today, he summarised Swami’s contributions in three fields, namely dharmic, social and political. As these three areas are even now in crisis, he said only Vivekananda’s spirit will help us to come out from this trauma.  The moral courage shown by him is lacking in our leadership, which is root cause of numerous problems of our society, he added.

150th Jayanthi Utsava Samithi central committee members Justice Ambati Lakshman rao, former Chief Justice of Allahabad High Court; Justice C V Ramulu, former High Court Judge; Sri Pullela Gopichand, former international badminton champion; state committee general secretary Dr C. Umamaheswar Rao, IAS (Rtd.), Former Vice Chancellor of Osmania University and city president Prof T TirupathiRao, city general secretary Sri Balda Ashok and Smt. Gottipati Satyavani, convenor, Bharatiyam, were present. Large number of prominent citizens attended the programme.

Unique Programme - Swami Vivekananda's photo in meditation in front

As all of us aware 2013 is Swami Vivekananda's 150 Birth Anniversary Celebrations. Several organisations and institutions the world over will organise programmers as a befitting tribute to this great Patriot Saint of India who was intensely nationalistic and deeply universal. In a special effort initiated by Vivekananda Kendra Kanyakumari several individuals, organisations and institutions working at local, state, regional, national, international levels will come together to celebrate this historic event. The uniqueness of this effort by the Vivekananda Kendra is that it will be celebrated without any organisational banner. It has at core Swami Vivekananda's thought, National Union in India must be a gathering up of its scattered, spiritual forces. Titled Swami Vivekananda Saardh Shati Samaaroh [Swami Vivekananda 150 Birth Anniversary Celebrations], the programmes will be organised through five segments - Youth, women, policy makers, villagers and the hill-forest people. For convenience of coordination celebrations in 42 Praants will touch 4 lakh families and an estimated 20 crore people of the country. The motto is Bharat Jaago! Vishwa Jagao!!! Wake Up India! Enlighten the World!!

Today - 25 December - is the day when Swami Vivekananda commenced his three-day meditation on the sacred Rock off Kanyakumari in 1892 to understand his mission for the future of India. He foresaw that India has to rise with its great spiritual tradition, its cultural values as the foundation and reach out to the world with its message of peace and harmony. To commemorate the same, thousands of people - young and old alike - participated in the Sankalpa Divas programme today. The purpose was to make individual commitments in order to make these celebrations successful.

arunachal the program was celebrated at 42. In Arunachal the programme was celebrated in 42 place having more than 7000 participant. In addition to this several programmes were held in educational institutions and other venues in the state.  People flocked in a serene atmosphere which saw a unique programme - Swami Vivekananda's photo in meditation in front of which people sat in neat rows and files or semi circles as convenient. Instead of the regular lectures by appointed speakers, a compact disc played a 30-minute message that included two songs, the background to Swami Vivekananda's meditation on the Rock and his message for humanity and specifically to Indians. In the serene ambience, people took an oath - silently, each by himself/herself in their heart - to volunteer their time, skills or resources in whatever way they could to make the celebrations successful in a way that social values and harmony could be restored. What is also unique is that people cut across narrow regional, religious and community bounds to participate.

150 Years Young & Going Strong

The sanyasi who declared "The national ideals of India are renunciation and service" is arguably the most popular youth icon in the country.  Born on 12th Jan 1863, he is 150 years young and still going strong !
What makes Swami Vivekananda tick among the youth and what makes him the most sought after guiding force for crores of youngsters ? What makes his views on holistic personality development relevant even today ?

In his best-seller " Seven Habits of Highly Effective People", world renowned management guru Stephen Covey writes about "The Personality Ethic" and "The Character Ethic". He writes that the Western world has been emphasizing on the personality ethic which focuses on how to dress, how to smile, how to stand, how to talk, how to sit and so on. This is characterized by the thousands of books that have been published around this subject by authors like Dale Carnegie, Allan Pease, Napolean Hill and many more modern-age personality development writers. However, he emphasizes that "The Character Ethic" is more crucial. It is what one is on the inside that makes the long term impact. The development of the personality is not external but internal. This is the oriental way, he writes. The West's understanding of Bharat's legacy has been improving in recent times. Bharat's world-view forms the fulcrum of what is termed as the oriental worldview and an excellent articulation of this was done by Swami Vivekananda.

Swami Vivekananda through his life and message exhorted the youth to develop their personality and work for the nation. He understood the limitations and travails of the youth of the country and gave the mantra of holistic personality development.

At the same time he was convinced that "A hundred thousand men and women, fired with the zeal of holiness, fortified with eternal faith in the Lord, and nerved to lion's courage by their sympathy for the poor and the fallen and the downtrodden, will go over the length and breadth of the land, preaching the gospel of salvation, the gospel of help, the gospel of social raising-up — the gospel of equality."

He spoke of Vyaktitva vikaas ( personality development) in a new paradigm while acknowledging that whatever he has said is not new but was part of our scriptures. His views gained more impact because he lived what he spoke.

It would be worthwhile to discuss his views on a holistic personality which was based on the traditional Bharatiya view of personality development , viz.,   pancha kosha vyaktitva vikas (the 5-fold personality development process). This development process is all the more vital for us because we are a country with 40% of youth-force and a holistic personality of the yuva-shakti is essential for a strong and vibrant nation.

1. Annamaya Kosha Vikas

- Developing Strength ( Shakti )The development of a strong body falls in the realm of the Annamaya kosha.
He famously exhorted youth saying " You will understand the Gita better with your muscles stronger". Strength Is Life. The Gita preaches

paritranaya sadhunam
vinasaya ca duskritam
dharma-samsthapanarthaya
sambhavami yuge yuge

( To deliver the pious and to annihilate the miscreants, as well as to reestablish the principles of religion, I Myself appear, millennium after millennium.). How can we achieve this without being strong ourselves ?
"Everything that can weaken us as a race we have had for the last thousand years. My friends, as one of your blood, as one that lives and dies with you, let me tell you that we want strength, strength, and every time strength".

2. Pranamaya Kosha Vikas :

The control of prana, steadfastness the training of the mind and building a strong character fall in the realm of the Pranamaya and Manomaya kosha.  

- Developing Concentration & Steadfastness : He says" To me the very essence of education is concentration of mind, not the collecting of facts. If I had to do my education over again, and had any voice in the matter, I would not study facts at all. I would develop the power of concentration and detachment, and then with a perfect instrument I could collect facts at will. Side by side, should be developed the power of concentration and detachment." He demonstrated this in his personal life by an incident where on he not only read the 'Encyclopedia Britannica' but also answered many questions on difficult and varied topics/subjects, from different volumes. Swamiji not only replied each correctly, but in many instances he quoted the very language of the books!

Later he greatly emphasized to cultivate power of mind in the form of purity and concentration for spiritual gains, so also perfection in many arts and studies in science and other branches of education.

3. Manomaya Kosha Vikas

- Developing Strong Character & A Strong Mind -  A strong body with sound knowledge must have a healthy character. He says "The basis of all system, social or political, rests upon the goodness of men. No nation is great or good because Parliament enacts this or that, but because its men are great and good.  Fill the brain with high thoughts, highest ideals, place them day and night before you, and out of that will come great work. Take up an idea, devote yourself to it, struggle on in patience, and the sun will rise for you".
How to build a strong character he says is by go on doing good, thinking holy thoughts continuously, that is the only way to suppress base impressions....Character is repeated habits, and repeated habits alone can reform character.  If a man thinks good thoughts and does good works, the sum total of these  impressions will be good; and they....will force him to do good even in spite of himself.

4. Vignanamaya Kosha Vikas:

The process of acquisition of knowledge, both Para and Apara Vidya ( worldly and otherly Spiritual) form the realm of the Vignanamaya Kosha.

Swamiji was a great propounder that Indians need to equip themselves with both modern scientific knowledge and at the same time strive for the knowledge of the Atman. This is clearly demonstrated when he inspired Jamshedji Tata to start the Tata Institute of Science and personally encouraged Sir J.C.Bose in all his experiments. At the same time he said "realize that understanding human nature is the highest knowledge."
- Holistic Education - " We want that education by which character is formed, strength of mind is increased, the intellect is expanded, and by which one can stand on one's own feet. The ideal of all education, all training, should be man-making. But instead of that, we are always trying to polish up the outside. What use is polishing up the outside when there is nothing inside? The end and aim of all training is to make the man grow. The man who influences, who throws his magic, as it were, upon his fellow-beings, is a dynamo of power, and when that man is ready, he can do anything and everything he likes; that personality put upon anything will make it work. "

5. Anandamaya Kosha - The Sheath of Bliss

The acquisition of strength, knowledge and concentration is complete only when we identify ourselves with the larger society, when our qualities are useful to the nation. The process of merging our individuality for the greater good of the nation and humanity is the way to bliss - development of the Anandamaya kosha. This development of this sheath leads to bliss and true happiness.

Swamiji says " Feel, my children, feel; feel for the poor, the ignorant, the downtrodden; feel till the heart stops and the brain reels and you think you will go mad; then pour the soul out at the feet of the Lord, and then will come power, help and indomitable energy. "

Moving Forward : The challenges before the country will need have to be answered only by introspective youth who want to make a change. There are questions each of us has to ask ourselves. What are the challenges facing me and my country ? Where is my nation heading to? Where am I heading ? What is my life's compass ? What is my dream of a strong & vibrant country and how can I contribute for it ? Out of this introspection will arise the answers and the ideal.

The next phase would be to stick to an ideal inspite of pressures from all quarters, both internal and external. That is the hall mark of a hero.  Swamiji says" Hold Up An Ideal - Never mind failures; they are quite natural, they are the beauty of life, these failures. Hold the ideal a thousand times, and if you fail a thousand times, make the attempt once more."

Out of these individual and collective goals and ideals, we would all be able to bring to reality the dream of Swamiji. He declared " One vision I can see clear as life before me that the ancient Mother has awakened once more, sitting on her throne- rejuvenated, more glorious than ever. Proclaim her to the entire world with the voice of peace and benediction ".

The 150 Years celebrations of his Jayanti ( birth anniversary) are is a great occasion to resolve ourselves to the glory of our nation.

स्वामीजी के वीर चले - Shobha Yatra at Solapur

Note : Due to Shobha Yatra of  "Gram Daivata"  from 11th Jan to 13th Jan, Swami Vivekananda Shard Shati Samaroh Shobha Yatra held on 6th Jan. 2013 in Solapur.
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दृष्टिक्षेपात शोभायात्रा
४५ शाळा, १0 हजार विद्यार्थी अन् १५ चित्ररथांचा शोभायात्रेत सहभाग

स्वामी विवेकानंद यांच्या १५0 व्या जयंतीनिमित्त वर्षभर विविध कार्यक्रम आयोजित केले आहेत. त्यांच्या जयंती दिवशी देशभर १२ जानेवारीला शोभायात्रा काढण्यात येत आहे, मात्र यादिवशी सोलापुरात गड्डा यात्रा असल्यामुळे सोलापुरात ६ जानेवारी रोजी ही शोभायात्रा काढण्यात आली. स्वामी विवेकानंदांचे विचार सर्वसामान्यांपर्यंत पोहोचविणे हा उद्देश आहे. - प्रा. नरेंद्र काटीकर

शोभायात्रा प्रमुख या मार्गांवरून निघाली शोभायात्रा

सायंकाळी साडेचार वाजता बाळीवेस चौकात धर्मराज काडादी, सहायक पोलीस आयुक्त खुशालचंद बाहेती यांच्या हस्ते या शोभायात्रेची सुरुवात करण्यात आली. बाळीवेस, मंगळवारपेठ पोलीस चौकी, मधला मारुती, माणिक चौक, दत्त चौक, नवीपेठ, मॅकॅनिकी चौक, लकी चौक या मार्गांवरून मोठय़ा दिमाखात निघालेल्या या शोभायात्रेचा सायंकाळी साडेसात वाजता समारोप झाला. या शोभायात्रेत आ. विजयकुमार देशमुख, नगरसेवक जगदीश पाटील, मोहिनी पत्की, चंद्रिका चौहान, शोभा नष्टे, शुभांगी बुवा, राजू पाटील, तेजा कुलकर्णी, प्रा. नसीमा पठाण, शाहू शिंदे, दीपक पाटील, प्रकाश मीठभाकरे, दामोदर दरगड, प्रकाश काटवे, रंगनाथ बंकापूर, जगदीश तुळजापूरकर, प्रशांत बडवे, महेश अंदेली, अनिल पाटील आदी सहभागी झाले होते. वल्लभदास गोयदानी यांनी या शोभायात्रेचे संयोजन केले. ■ शोभायात्रेची सुरुवात बाळीवेसमध्ये तर समारोप चार पुतळा येथे
  •  शोभायात्रेच्या समारोपावेळी आतषबाजी
  •  अनेक जण स्वामी विवेकानंदांच्या वेशभूषेत
  •  नंदीध्वजांच्या प्रतिकृतीसह बालवारकरी मंडळ सहभागी
  •  चित्ररथ अन् पथकांमुळे शोभायात्रा लक्षवेधक दृष्टिक्षेपात शोभायात्रा दृष्टिक्षेपात शोभायात्रा
स्वामी विवेकानंद यांच्या १५0 व्या जयंतीनिमित्त वर्षभर विविध कार्यक्रम आयोजित केले आहेत. त्यांच्या जयंती दिवशी देशभर १२ जानेवारीला शोभायात्रा काढण्यात येत आहे, मात्र यादिवशी सोलापुरात गड्डा यात्रा असल्यामुळे सोलापुरात ६ जानेवारी रोजी ही शोभायात्रा काढण्यात आली. स्वामी विवेकानंदांचे विचार सर्वसामान्यांपर्यंत पोहोचविणे हा उद्देश आहे.

- प्रा. नरेंद्र काटीकर

शोभायात्रा प्रमुख  स्वामी विवेकानंद यांच्या वेशभूषेतील घोड्यावरील विद्यार्थी लक्ष वेधून घेत होता.
त्न स्वामी विवेकानंदांच्या साहित्याची पालखीतून मिरवणूक काढण्यात आली.  टिपरी नृत्य करताना शालेय मुली.

शोभायात्रेत एनसीसी विभागातील मुलांनी संचलन करीत सहभाग नोंदविला.  स्वामी विवेकानंद यांच्या १५0 व्या जयंतीनिमित्त काढण्यात आलेल्या शोभायात्रेत महिलांनी फेटा बांधून हिरिरीने सहभाग घेतला. मिलिंद राऊळ सोलापूर।

दि. ६ (प्रतिनिधी)

कौन चले भाई कौन चले.. स्वामीजी के वीर चले, भारत माता की जय, वंदे मातरम् या घोषणा आहेत शोभायात्रेतील. स्वामी विवेकानंदांच्या १५0 व्या जयंतीनिमित्त ४५ शाळा, १५ चित्ररथ आणि १0 हजार विद्यार्थ्यांचा समावेश असलेल्या शोभायात्रेने रविवारी अनेकांचे लक्ष वेधून घेतले.

सार्ध शती समारोह समितीच्या वतीने स्वामी विवेकानंदांच्या १५0 व्या जयंतीचे औचित्य साधून रविवारी सायंकाळी ही मिरवणूक काढण्यात आली. ढोल, ताशा, स्कॉर्ब डान्स, टिपर्‍या, भजन, विविध वेशभूषा यामुळे शोभायात्रा लक्षणीय ठरली. शोभायात्रेच्या सुरुवातीला तीन घोडेस्वार होते. यावर जिजाऊ, शिवाजी महाराज आणि स्वामी विवेकानंदांच्या वेशभूषेतील तरुण बसले होते. हलगीनादात बाराबंदीच्या वेशात बालचमू सिद्धेश्‍वर महाराजांच्या काठय़ांसह सहभागी झाले होते. टाळ-मृदंगात दंग होऊन नाचणार्‍या वारकर्‍यांची बालदिंडी, १५0 बाल स्वामी विवेकानंद, फेट बांधून सहभागी झालेल्या महिला, लहान मुलांपासून ते महाविद्यालयीन युवक-युवती आणि नागरिकांपर्यंत सर्वांनी यामध्ये सहभाग घेतला. चित्ररथाद्वारे स्वामी विवेकानंदांच्या आयुष्यातील विविध प्रसंग दाखविण्यात आले. यामुळे ही शोभायात्रा चर्चेचा विषय ठरली.

या शोभायात्रेत स्वामी विवेकानंद टेक्नॉलॉजी, सिद्धेश्‍वर इंग्लिश मीडिअम, होम सायन्स, सिद्धेश्‍वर प्रशाला, पॉलिटेक्निकल, बी. एस. कुलकर्णी प्रशाला, ज्ञानप्रबोधिनी प्रशाला, शेठ रावजी सखाराम आयुर्वेद कॉलेज, श्राविका विद्यालय, सुरवसे हायस्कूल, वसंतराव देशमुख विद्यालय, मॉडर्न हायस्कूल, शासकीय औद्योगिक प्रशाला, एस. ई. एस पॉलिटेक्निकल, वालचंद महाविद्यालय, बीएमआयटी, जैन गुरुकुल, कस्तुरबा अध्यापक विद्यालय, ए. जी. पाटील महाविद्यालय, दयानंद आसावा प्रशाला, दमाणी, शिवाजी प्रशाला आदी शाळा-महाविद्यालये सहभागी झाली होती.