19 Feb, बठिंडा
सूर्य नमस्कार बच्चों के लिए टानिक से बढ़कर है, स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान सूर्य नमस्कार को विशेष तरजीह मिलनी चाहिए। यह कहना है विद्यार्थी वर्ग का, जिन्होंने सोमवार को सूर्य नमस्कार किया।
स्वामी विवेकानंद शार्द्धशती (150) समारोह समिति द्वारा सोमवार सुबह एक ही समय पर देश भर में आयोजित सामूहिक सूर्य नमस्कार महायज्ञ की कड़ी में स्थानीय खेल स्टेडियम में भी इस यज्ञ में आहूति डाली गई। जिला संयोजक इंजीनियर डीके गर्ग के नेतृत्व में दो दर्जन स्कूलों के आठवीं से बारहवीं तक के लगभग 2000 विद्यार्थियों ने सामूहिक तौर पर सूर्य नमस्कार का अभ्यास किया। योग गुरु राधेश्याम बांसल ने सूर्य नमस्कार का सिद्ध (प्रणाम) आसन, ऊधर्व आसन पूरक, ऊधर्व आसन रिचक, एकपाद प्रसरण आसन, चतुरंग दंड आसन, शाष्टांग प्रणीपाता आसन, ऊधर्व मुख श्वान आसन, अर्द्धमुख श्वान आसन, ऊतान आसन, सिद्ध प्रणाम आसन का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सुबह दस से पंद्रह मिनट सूर्य नमस्कार करना चाहिए, इससे जहां बीमारियां दूर भागती हैं, वहीं स्मरण शक्ति बढ़ती है।
मौसम की खराबी की वजह से डेढ़ घंटा देरी से शुरू हुए आयोजन में सूर्य नमस्कार का सात-सात बार अभ्यास करके विद्यार्थियों ने अनुभव उत्साह से सांझा किया।
डीएवी स्कूल के अभिषेक ने कहा कि स्कूल में करवाया सूर्य नमस्कार सामूहिक तौर पर करना अच्छा लगा। रोज करना चाहिए, एक बार में 10 मिनट लगते हैं। वहीं भव्य ग्रोवर ने कहा कि उसे लगा मानो शरीर की सुस्ती जाती रही।
एसएसडी मोतीराम कन्या महाविद्यालय की रचना के अनुसार पहली बार पूरे ढंग से सूर्य नमस्कार करना अच्छा लगा। स्कूल में तो कराया जाता है पर इतनी प्रेक्टिस नहीं। सुनीता ने कहा कि सोमवार को सूर्य नमस्कार में थोड़ा नयापन महसूस हुआ।
बाबा फरीद स्कूल के जसदीप सिंह के मुताबिक शरीर में एनर्जी महसूस हुई, सूर्य के दर्शन से शांति का एहसास हुआ। सिमरनप्रीत कौर के अनुसार शरीर निरोग व याददाश्त बढ़ाने का यह रामबाण तो प्रार्थना सभा में लाजिमी हो।
एसएसडी सीसे स्कूल का गुरदीप तो छठी कक्षा से सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर रहा है। उसने कहा कि फिजीकल के पीरियड में करवाते हैं पर आज के अभ्यास में थोड़ा फर्क देखा।
एमएचआर के कार्तिक के ने कहा कि यूं लगा जैसे सारी थकान जाती रही और शरीर को ऊर्जा मिली।
गुरु हरकृष्ण स्कूल की नवनीत कौर ने कहा इसका अभ्यास करके स्फूर्ति आई। अमृता के मुताबिक कभी किया नहीं, पहली बार का अनुभव अच्छा लगा।
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