Monday, April 8, 2013

ॐ सूर्याय नम: के उद्गोष से गूंज उठा जोधपुर



 
जोधपुर 18 फ़रवरी 2013

स्वामी विवेकानंद  सार्ध शती समारोह के अंतर्गत वर्ष पर्यन्त चलने वाले कार्यक्रम के तहत आज  पुरे देश में एक साथ एक समय सूर्यनमस्कार महायज्ञ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल मान्धाता सिंह थे तथा  मुख्य वक्त राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख राम माधव जी थे। कार्यक्रम में प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जीए विभाग प्रचारक चन्द्रसेखर जीए महानगर प्रचारक डा धर्मेन्द्र जी उपस्थित थे।
सवेरे से ही जोधपुर के हर रास्ते  से विद्यार्थियों की टोलिया न्यू पोलो ग्राउंड की और जा रही थी। सुबह 8.00 बजे से ही न्यू पोलो ग्राउण्ड जाने वाली सड़क पर विद्यार्थियों से भरी बसों की लाइन लगी रही। सारा शहर ही विवेकानन्द का संदेष की “हम गीता के ज्ञान को तभी समझ सकते है जब हम फुटबाॅल के मैदान में अपनी मांसपेषियँा मजबुत करेंगे“ को चरितार्थ करने लगा है।
जोधपुर महानगर के लगभग 148 विद्यालयों व 2 महाविद्यालयों के 23466 छात्र-छात्राओं ने एक साथ सूर्यनमस्कार करके मरूधरा की धरती पर एक नया इतिहास रच दिया। 17245 छात्र व 6221 छात्राओं के साथ पूरे शहर के करीब 1055 गणमान्य लोग भी ऐसे अद्भूत दृष्य को देखने के लिए उपस्थित थे।
सप्ताह पूर्व कार्यकर्ताओं ने योजना बनाकर शहर की अलग-अलग स्कूलों में सम्पर्क कर सूर्यनमस्कार का प्रशिक्षण विद्यार्थी को दिया। पूरे मैदान को 100 ब्लाॅक में बाटा गया विवेकानन्द की 150वीं जयन्ति आयोजित इस सूर्यनमस्कार में इतने बड़ी संख्या में छात्र शक्ति ने भाग लेकर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया।


इस कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत माँ भारती व युवाओं के प्रेरणास्रोत विवेकानन्द के समक्ष द्वीप प्रज्जवलन कर हुई। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विवेकानन्द सार्ध शती समारोह समिति, जोधपुर महानगर संयोजक डाॅ. कैलाश डागा मंचस्थ से अतिथियों का परिचय करवाया।
समिति के विभाग प्रभारी श्री चन्द्रषेखर जी ने कार्यक्रम की भूमिका पर प्रकाश डालते हूए कहा कि जब हमारा शरीर मजबुत होगा तो मन मजबूत होगा और जब दोनों मजबूत होंगे तो ही भारत माँ की सेवा की जा सकती है। उन्होने सूर्यनमस्कार के महत्व को समझाते हूए विद्यार्थीयों से रोजाना सूर्यनमस्कार करने का आग्रह किया। उन्होने छात्र शक्ति को समाज हित में कुछ करने हेतु प्रेरित करते हूए कहा कि हमारे चुपचाप बैठने से कुछ नहीं होगा।
उसके बाद श्री शंम्भू सिंह के निदेशन में विद्यार्थीयों ने ड्रम की आवाज व मंत्रों के उच्चारण के साथ सूर्यनमस्कार के सात चक्र पूरे किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रिटायर्ड ले. जनरल मान्धाता सिंह ने छात्र शक्ति को अनुशासन में रहकर देश सेवा करने पर जोर दिया। एक कहानी के माध्यम से उन्होने बताया की देश भक्ति की भावना एक निरक्षर बालक के मन में भी जाग सकती है क्योंकि देश भक्ति सभी बातों से बढ़ सकती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मा. राममाधव जी थे जो कि रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख है। उन्होनंे बहुत ही सरल शब्दों में छात्र-छात्राओं को व्यवहार रूप में कैसा होना चाहिए इस पर प्रकाश डाला उन्होने कहा कि बालकों को साउण्ड माईन्ड के साथ-साथ साउण्ड बाॅडी की भी उतनी ही आवश्यकता है। एक अच्छा विद्यार्थी वह नहीं है जो चुपचाप स्कूल आता व जाता है अपितु एक अच्छा विद्यार्थी वह है जो स्कूल जाते समय किसी असहाय की मदद भी करता है, जो अपने मन में सामाजिक संवेदना भी रखता है। उन्होंने चुटकी लेकर कहा कि हमें साउण्ड (स्वस्थ) बाॅडी चाहिए, राउण्ड अर्थात गोल-गोल शरीर नहीं। श्री राममाधव जी ने शिक्षित व्यक्तियों को अपने कर्तव्य का एहसास कराते हुए कहा कि वह प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति कृतघ्न है जब तक लाखों लोग भूखे और अज्ञानी है। क्यांेेिक हम उनके बल पर ही शिक्षित हुए हैं और अब हम उनकी और ध्यान नहीं देते है।


कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक श्री देवेन्द्र जी जोशी ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री घनश्याम जी ओझा व महानगर युवा शक्ति आयाम प्रमुख श्री सुभाश गहलोत भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान मंचसीन अतिथियों में श्री हनुमान सिंह जी द्वारा लिखित “राजस्थान में विवेकानन्द“ नामक पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक में स्वामी जी के राजस्थान से जुड़े संस्मरण लिखे हुए है।

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