18 Feb, पटना। दुनिया भर के नेत्र विशेषज्ञ हमेशा सूर्य नमस्कार की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि इससे आंखों की रौशनी अच्छी रहती है, तो बिहार में इस पर विवाद क्यों हो रहा है?
सच पूछिए तो विवाद के पीछे सिर्फ राजनीति छिपी है और कुछ नहीं।
रही बात मुस्लिम संगठनों की, तो विज्ञान की दृष्टि से यह विरोध गलत है। साथ ही कई सारे सवाल भी खड़े कर दिये हैं? बिहार सरकार ने जब सूर्य नमस्कार को स्कूलों में अनिवार्य किये जाने का आदेश दिया, तो तमाम मुस्लिम संगठनों ने विरोध जता दिया। कहा कि यह मुस्लिम धर्म के विरुद्ध है।
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मारा पहला सवाल क्या मुस्लिम धर्म में कहीं ऐसा लिखा हुआ है कि सूर्य को नमस्कार नहीं करना चाहिये? अगर लिखा है, तो बिहार सरकार को इस फरमान को तुरंत वापस ले लेना चाहिये, क्योंकि अगर कोई धर्म किसी कार्य की इजाजत नहीं देता है, तो उसे कतई नहीं करना चाहिये।
फिर "जिसे इच्छा हो करे, जिसे नहीं, वो न करे" वाला कॉन्सेप्ट भी गलत है। why people against mass surya namaskar दूसरी बात यह कि अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें, तो सूर्य भगवान नहीं, वो ऊर्जा का एक स्रोत है। हां यह बात अलग है कि हिन्दू धर्म में सूर्य को ईश्वर का दर्जा दिया गया है और शायद यही कारण है कि मुस्लिम धर्म गुरु सूर्य नमस्कार का विरोध कर रहे हैं। अगर धर्म की बात आ ही गई है, तो बाल विद्या मंदिर जैसे स्कूलों में आज भी गायत्री मंत्र होता है और हिन्दू रीतिरिवाज से प्रार्थना होती है, या कैथेड्रल स्कूल अथवा क्राइस्ट चर्च कॉलेज जैसे ईसाई स्कूलों में जीसस क्राइस्ट को ईश्वर के रूप में पूजा जाता है और इन प्रार्थना सभाओं में हर धर्म-जाति के बच्चे शामिल होते हैं। जब वहां भेद-भाव नहीं, तो सूर्य नमस्कार में क्यों?
ref : http://hindi.oneindia.in/news/2013/02/18/bihar-why-people-against-mass-surya-namaskar-228707.html
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