Tuesday, September 17, 2013

'भारत जागो दौड़' ने दिलाई विवेकानंद की याद

अजमेर। विवेकानंद सार्धशती समारोह समिति की ओर से भारत जागो दौड़ में भाग लेने के लिए शहरवासी उमड़ पड़े। पटेल मैदान से शुरू हुई दौड़ के दौरान वंदे मातरम् का उद्घोष लगातार गूंजता रहा। दौड़ में भाग लेने वाले धावकों का विभिन्न स्थानों पर स्वागत हुआ। दौड़ का एक सिरा आगरा गेट पर था तो दूसरा पटेल मैदान में।

कॉलेज, स्कूल सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने दौड़ में भाग लिया। शाम 4 बजे से ही लोग पटेल मैदान पहुंचना शुरू हो गए। दौड़ पटेल मैदान से शुरू होकर अग्रसेन सर्किल, आगरा गेट, नगर निगम, गांधी भवन चौराहा, कचहरी रोड, स्वामी कॉम्पलेक्स चौराहा होते हुए वापस पटेल मैदान पहुंची। राष्ट्रीय कैडेट कौर नेवल विंग के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन संजीव कपूर ने हरी झंडी दिखाकर दौड़ की शुरुआत की।
दौड़ में बच्चे, युवा, बुजुर्ग शामिल हुए। सभी उत्साह से लबरेज थे। सार्धशती समारोह समिति के पदाधिकारियों द्वारा दौड़ पूरी कर पटेल मैदान वापस लौटे युवाओं का स्वागत किया गया। धावकों को दूध पिलाया गया और प्रमाण-पत्र दिया गया। इस अवसर पर सुनील दत्त जैन, सुरेश साहू, सुशील विस्सू,  लक्ष्मण पंजाबी, सुनील खंडेलवाल, निरंजन, एसके अरोड़ा, धर्मेंद्र गहलोत, सतीश बंसल, कंवल प्रकाश किशनानी, कुसुम गौतम, श्वेता, ललित कुमार शर्मा, अमर सिंह, उम्मेद सिंह तोमर, देवेंद्र पंवार, गोप मीरानी, लव गोयल, दिनेश रांका, सोमरत्न आर्य, महेंद्र तीर्थानी, दिनेश अग्रवाल, शरद गोयल, श्री किशन सोनगरा, विधायक वासुदेव देवनानी, शिवशंकर हेड़ा, पार्षद नीरज जैन, भारती श्रीवास्तव सहित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कई पदाधिकारी, भाजपा नेता विभिन्न कॉलेजों के व्याख्याता और शिक्षक मौजूद थे।

शिकागो भाषण की याद में
सार्ध समारोह समिति के संयोजक उमरदान लखावत ने बताया कि 11 सितंबर 1893 को शिकागो में दिए गए स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की याद में 'भारत जागो दौड़' आयोजित की गई। दौड़ का उद्देश्य लोगों को देश के प्रति प्रेम और भाईचारा का संदेश देना था। समिति वर्ष भर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करेगा।

पुष्प वर्षा से स्वागत
अग्रसेन चौराहा, आगरा गेट और गांधी भवन चौराहे पर बैंड की स्वर लहरियों से धावकों का स्वागत किया गया। इनके अलावा 13 स्थानों पर पुष्प वर्षा से स्वागत हुआ। दौड़ के दौरान विभिन्न संगठनों ने व्यवस्थाएं संभाल रखी थी। तीन एबुलेंस का इंतजाम भी किया गया था। कई स्वयंसेवक दुपहिया वाहनों पर सवार होकर व्यवस्थाएं बना रहे थे।

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