व्यक्तिगत (individual) प्रकार के लिये हमारे ऋषियों ने सुत्र दिया है सत्यम, शिवम, सुन्दरम, शिवम अर्थात कल्याण, कल्याण सत्य मे होता है और फ़िर सर्वत्र सुन्दर दिखायी देता है. ब्र्ह्मांडीय (Cosmic) कल्याण अर्थात एक जीव दुसरे जीव से प्रेम से रहे यही कल्याण है । स्वामीज प्रबुद्धानन्दजी ने कहा की आज के युवा को प्रेम नहि मिल रहा है, शिव भावे जिव सेवा से हम उसे प्रेम दे सकते हैं । इसके बाद स्वामी प्रबुद्धानन्दजी ने भारत के उत्थान मे विश्व का कल्याण इस को समझना होंगा तो हमे भारत की दृष्टि को समझना होंगा। आज हम छिपाव और दुराव की संस्कृती को अपना रहे है। जगत को देखने का दृष्टिकोण होता है और भारत के पास एक दृष्टि है जो किसी के पास नही है, वह है "आध्यात्मिक दृष्टि" और बाकी अन्य के पास यह "भौतिक दृष्टि" है। भौतिकवाद याने जो मुझे दिखता है उसे मै मानता हु और आध्यात्मिक दृष्टि याने दृष्य के पिछे की दृष्टि को देखना । जो दिख रहा है वह तो सत्य है ही परंतु इसपर शासन कोई और कर रहा है जो दिखाई नही देता है।
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Friday, September 21, 2012
विश्व बन्धुत्व दिन - इन्दौर
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